S Jaishankar On Foreign Policy: विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) इन दिनों मिस्र (Egypt) के दौरे पर हैं. काहिरा में उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से बातचीत की. यहां उनसे भारत की विदेश नीति को लेकर मुखर होने को लेकर सवाल पूछा गया. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि वो मुखर हो रहे हैं, लेकिन ये है तो एक स्थिति की वजह से है. रूस-यूक्रेन (Russia Ukraine) के युद्ध के बीच भारत (India) ने रूस से सस्ता तेल खरीदा. इस फैसले को समझाने में जयशंकर सबसे आगे रहे हैं. यहां तक कि भारत ने इस युद्ध का विरोध भी किया.
उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि मैं मुखर हो रहा हूं. ईमानदारी के साथ एक बात कहना चाहता हूं कि क्या होता है न...जब आप दूसरे पर दबाव डालते हैं, धक्का देने की कोशिश करते हैं...तो क्या ऐसी स्थिति में आप खत्म हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में सशक्तता के साथ अपने विचार व्यक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है. मैं अभी भी मानता हूं कि खुद को समझाना जरूरी है...कई बार निष्पक्षता की कमी होती है, जहां पर आपकी स्थिति को बताया जा रहा है. मुझे नहीं लगता है कि ऐसी स्थिति में चुप रहना चाहिए. अगर हम ऐसा करते हैं तो ये हम अपने साथ न्याय नहीं कर रहे हैं.
जयशंकर ने आगे कहा कि मुझे पता है ये कभी कभी एक निश्चित तरह से खत्म होता है. तो ये मैं नहीं हूं, लेकिन आप कह सकते हैं कि ये वो संदर्भ है जो निकलता है. एक देश के रूप में ये जरूरी हो जाता है कि अपने हितों के लिए स्पष्ट होना जरूरी है. हम अगर ये कर रहे हैं तो क्यों कर रहे हैं ये साफ होना जरूरी है.
गुटनिरपेक्षता पर जयशंकर
मौजूदा समय में गुटनिरपेक्ष मूवमेंट के बारे में उनकी राय पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये एक ऐसा ग्रुप था जो अलग समय में शुरू हुआ था. इसका एक संदर्भ था. आज मैं इसके बारे में इतना ही कहूंगा कि स्वतंत्र विचारधारा वाले देशों के लिए ये जरूरी है कि वो अपने मन की बात कहें, दुनिया जिस दिशा में जा रही है, उसे आकार देने और प्रभावित करने की कोशिश की जाए क्योंकि आज दुनिया बहुत ही ध्रविक्रत हो गई है.
दो तरह का ध्रुवीकरण हो रहा है. पूर्व और पश्चिम का ध्रुवीकरण और उत्तर और दक्षिण का भी ध्रुवीकरण हो रहा है. आप जानते हैं कि अमीर और अधिक विकसित देश पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं कि दुनिया में जो हो रहा है उससे गरीब देश कितना आहत हो रहे हैं. ये बहुत ही तनावपूर्ण और दुखी दुनिया है. भारत के पास अपनी आवाज है और इसी तरह की आवाज वाले और भी देश हैं.
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