विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों में आए बदलाव को लेकर कहा कि इस प्रगति का श्रेय चार प्रमुख कारकों प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रेलिया, विश्व और प्रवासी भारतीयों को दिया जाना चाहिए.


उन्होंने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र किया और मैंने ऐसा एक खास वजह से किया. मुझे 2014 में उनके साथ हुई एक शुरुआती बातचीत याद है. उन्होंने मुझसे कहा था कि मुझे समझाइए कि ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारे रिश्ते क्यों नहीं विकसित हुए? क्योंकि इसमें सब कुछ ठीक चल रहा है. एक भाषा है, साझा संस्कृति है और परंपरा है और फिर भी ऐसा कुछ है जो नहीं हो रहा है.'


जयशंकर ने कहा, 'उस दिन मेरे पास कोई जवाब नहीं था, शायद इसलिए क्योंकि मैंने खुद इस पर विचार नहीं किया था. इसलिए, यह इस बात का प्रतिबिंब है कि यह संबंध अपने आप नहीं बना. दोनों तरफ के लोगों ने इसे बनाने के लिए बहुत प्रयास किए.'


क्वींसलैंड में लगभग 1,25,000 भारतीय प्रवासियों की मौजूदगी का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए उनके महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया से भारत को होने वाला 75 फीसदी निर्यात ब्रिसबेन से होता है. उन्होंने कहा कि इस सहयोग को केवल एक उपलब्धि के रूप में नहीं बल्कि भविष्य के विकास के लिए एक रूपरेखा के रूप में देखा जाना चाहिए.


उन्होंने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि क्वाड का स्थान सबसे ऊपर है और ऑस्ट्रेलिया हमारे द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में क्वाड का संस्थापक साझेदार है.' उन्होंने कहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 'व्यापक रणनीतिक साझेदार' नामित किया है और कुछ ही देशों को यह सौभाग्य मिला है.


भारत और ऑस्ट्रेलिया सामरिक सुरक्षा संगठन क्वाड के सदस्य हैं, जिसमें दो अन्य देश अमेरिका और जापान हैं. बाद में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में एस. जयशंकर ने कहा कि उन्हें ब्रिस्बेन में भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत करके बहुत खुशी हुई.


उन्होंने लिखा, 'भारत-ऑस्ट्रेलिया की मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी और इसे मजबूती देने के लिए दोनों देशों के प्रयासों, दृष्टिकोण और नेतृत्व के बारे में बात की. ऑस्ट्रेलिया में भारत के चौथे वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया जाना है, जो हमारी दोस्ती में अगला कदम है.' इसके बाद जयशंकर ने ब्रिस्बेन में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के चांसलर पीटर वर्गीस से मुलाकात की.


यह भी पढ़ें:-
यूपी के इस शहर में बह रही देश की सबसे जहरीली हवा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद भी इससे पीछे