India China Relation: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार (16 नवंबर) को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर समस्या के हल के लिए पिछले महीने सहमति के बाद दोनों देशों के सैनिकों की वापसी का काम पूरा हो गया है. अब तनाव कम करने पर जोर होना चाहिए. जयशंकर ने अंतिम दौर की सैन्य वापसी के बाद भारत और चीन संबंधों में कुछ सुधार की उम्मीद को ‘उचित’ बताया, लेकिन यह कहने से परहेज किया कि द्विपक्षीय संबंध पुराने स्वरूप में लौट सकते हैं.
एस जयशंकर ने ‘एचटी लीडरशिप समिट’ में कहा, ‘‘मैं सैनिकों के पीछे हटने को बस उनके पीछे हटने के रूप में देखता हूं न उससे कुछ ज्यादा, न कुछ कम. अगर आप चीन के साथ वर्तमान स्थिति को देखते हैं तो हमारे सामने एक ऐसा मुद्दा रहा कि हमारे सैनिक असहज तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के बिल्कुल करीब थे. इसलिए 21 अक्टूबर की सहमति सैनिकों की वापसी से जुड़ी सहमति आखिरी थी. इसके साथ ही इस समस्या के हल की दिशा में सैनिकों के पीछे हटने का काम पूरा हो गया."
भारत और चीन का सीमा विवाद
भारत और चीन ने पिछले महीने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वी लद्दाख में डेमचॉक और डेपसांग से सैनिकों की वापसी का काम पूरा किया. इससे पहले दोनों पक्ष लंबे समय से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुए विवाद को सुलझाने के लिए एक सहमति पर पहुंचे थे. दोनों पक्षों ने करीब साढ़े चार साल के अंतराल के बाद दोनों क्षेत्रों में गश्ती गतिविधियां भी बहाल कीं. अपने बयान में जयशंकर ने कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करना अगला कदम होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘सैनिकों की वापसी के बाद यह अनुमान उचित होगा कि संबंधों में कुछ सुधार होगा.’’
जयंशकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वेक्षण का दिया हवाला
संपूर्ण भारत-चीन संबंधों के बारे में जयंशकर ने विभिन्न कारकों की चर्चा की और कहा कि यह ‘जटिल’ संबंध है. जब जयशंकर से पूछा गया कि क्या सरकार की आर्थिक और सुरक्षा शाखााओं का चीन पर भिन्न दृष्टिकोण है क्योंकि इस साल के आर्थिक सर्वेक्षण में जान पड़ता है कि पड़ोसी देश के साथ अधिक साझेदारी की वकालत की गयी है, उन्होंने कहा कि अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं, लेकिन संपूर्ण संबंध नीतिगत फैसलों से तय होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसे देखने का सही तरीका यह है कि हर सरकार में अलग-अलग मंत्रालयों की अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं और उस जिम्मेदारी के आधार पर उनका एक नजरिया होता है.’’ असल में एक राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वेक्षण (भी) होगा जिसे आप नहीं देख पाये हों और उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का दृष्टिकोण होगा.’’
अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव पर जयशंकर का बयान
एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया खासकर ऐसे वक्त में भारत के राजनीतिक स्थायित्व को निहार रही है, जब विश्व के अधिकतर देश राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं. उन्होंने इस साल हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम के बारे में कहा, ‘‘ऐसे समय में किसी लोकतंत्र में तीसरी बार जितना कोई साधारण चीज नहीं है.’’ अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर जयशंकर ने कहा कि इससे अमेरिका के बारे में काफी कुछ समझ में आता है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह अमेरिकी चुनाव हमें अमेरिका के बारे में बहुत कुछ बताता है. यह हमें बताता है कि डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के सरोकार और प्राथमिकताएं अधिक गंभीर हो गयी हैं, वे खत्म नहीं हुई हैं.’’ विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका अपनी पीठ दुनिया की तरफ कर लेगा. उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप नंबर एक शक्ति हैं तो आपको दुनिया के साथ जुड़े रहना होगा, लेकिन आप दुनिया को जो शर्तें दे रहे हैं, वे पहले से अलग होंगी.’’