अक्टूबर में भारत दौरे पर आ सकते हैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन: विदेश मंत्रालय
अगले महीने अक्टूबर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आ सकते हैं. वहीं अक्टूबर में प्रस्तावित भारत यात्रा के दौरान होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच कई उच्च स्तरीय समझौते होने की संभावना है.
नई दिल्लीः रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अक्टूबर में प्रस्तावित भारत यात्रा के दौरान होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच कई उच्च स्तरीय समझौते होने की संभावना है. इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हाल ही में दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई बात
चर्चा के दौरान अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच दो जुलाई को बात हुई थी. इस बातचीत के दौरान मोदी ने पुतिन को रूस में हुए संवैधानिक संशोधनों पर मिले जनसमर्थन के लिए बधाई दी थी. श्रीवास्तव ने कहा, “इसके बाद जून के अंतिम सप्ताह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मास्को गए थे. भारतीय सैन्य दस्ते ने दूसरे विश्व युद्ध में मिली विजय की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित परेड में हिस्सा लिया था.”
उन्होंने कहा, “कल जब विदेश सचिव (हर्षवर्धन श्रृंगला) और रूसी उप विदेश मंत्री के बीच बातचीत हुई तब उन्होंने आगे भी ऐसे आयोजनों में सहभागिता के विचार को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए क्योंकि कोविड-19 की परिस्थिति के कारण हम एक दूसरे के देश नहीं जा पा रहे हैं.”
दोनों देशों के बीच होंगी उच्च स्तरीय वार्ताएं
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “दोनों देशों के बीच आगामी महीनों में उच्च स्तरीय वार्ताओं की एक लंबी सूची है. शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक और रक्षा मंत्रियों की बैठक भी शामिल है. अक्टूबर में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर वार्ता भी होने वाली जिसमें पुतिन के भारत आने की संभावना है.”
ऐसे में जबकि अफगान शांति प्रक्रिया गति पकड़ रही है विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि उसे सभी प्रासंगिक मामलों की जानकारी मिल रही है और अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत वहां के नेतृत्व के संपर्क में हैं. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार को ‘लोया जिरगा’ का आयोजन होने वाला है जो जेलों में बंद सैकड़ों कैदियों, जिनमें ज्यादातर तालिबान के सदस्य हैं, के भविष्य का फैसला होगा.
गौरतलब है कि तालिबान ने शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए जो महत्वपूर्ण मांगें रखी थीं, उनमें से एक यह भी थी. श्रीवास्तव ने बताया, ‘‘लोया जिरगा अफगानिस्तान में बेहद प्रतिष्ठित और परंपरागत सलाहकार समिति है, और उनकी बैठक अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है.’’ लोया जिरगा पर भारत का विचार पूछने पर प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान सरकार का समर्थन करने की हमारी नीति बेहद समरुप है.’’