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केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा- ये 1962 का भारत नहीं, सरकार जवाब देने के लिए पूरी तरह सक्षम
केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने चीन की हालिया हरकत पर कई खुलासे किये है. उन्होंने कहा कि चीन समझ रहा है कि ये 1962 का भारत है.
नई दिल्ली: गलवान घाटी में 15 जून को हुए चीन के हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे. केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने चीन के इस हरकत पर कई खुलासे किये है. उन्होंने कहा कि चीन गलतफहमी में है कि ये 1962 का भारत है. ये 2020 का भारत है जो हर स्थिति से लड़ने के लिए तैयार है. मौजूदा सरकार चीन के खिलाफ अपना जवाब देने के लिए पूरी तरह सक्षम है.
वीके सिंह का कहना है कि चीन हमेशा अपने क्लेम लाइन को बढ़ा-चढ़ाकर दुनिया के सामने रखता है. 1959 में चीन के प्रधानमंत्री ने अपने देश के प्रधानमंत्री को जो नक्शा सौंपा था उसमें क्लेम लाइन को मार्क किया गया था. नक्शे को जमीन पर उतारा जाएगा तो कहीं ना कहीं गड़बड़ होगी जिसका चीन पूरी तरह फायदा उठाता है.
पिछले 5-6 सालों से दोनों सेनाओं के बीच हो रही धक्का-मुक्की
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह का कहना है कि सालों से दोनों देशों की सेनाएं अपने क्लेम लाइन पर पहुंचना चाहती है जिसके चलते गर्मियों के मौसम में पेट्रोल एक दूसरे के सामने आ जाता है. सालों से एसा ही होता रहा है, झड़प की नौबत नहीं आती थी लेकिन आमने-सामने आ जाया करते थे. वहीं पिछले 5 से 6 सालों से दोनों सेनाओं के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई है. चीन चाहता है कि वो अपने क्लेम लाइन तक पहुंचे.
उनका कहना है कि चीन बहुत ही शातिर तरीके से क्लेम लाइन तक पहुंच फोटो खींच लेता है और दिखाता है कि ये उनका इलाका है. बताया जाता है कि चीन ने करीब तीन साल पहले अपने कमांड सेक्टर को रि-ऑर्गनाइज किया है. अब उन्होंने वेस्टर्न थियेटर कमांड कर लिया है जो पहले उनकी सात कमांड हुआ करती थी.
1962 में एयरफोर्स का इस्तेमाल किया होता तो आज ये नौबत नहीं आती
उन्होंने ये भी बताया कि वेस्टर्न थियेटर कमांड के जनरल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इलाके से हैं जिनका सेना में बहुत बड़ा नाम है. लोग सोचा करते थे कि उनकी बहुत बड़ी पदोन्नति होगी. लोगों की नज़रों में एक अच्छा जनरल बनने के लिए उन्होंने पदोन्नति के लिए कुछ बड़ा करने की कोशिश की.
वीके सिंह का कहना है कि सीमा विवाद के पीछे एक व्यक्ति की महत्वकाक्षाएं छिपी है. उनके मुताबिक कोई भी देश युद्ध नहीं चाहता है, चाहे फिर वो खुद चीन ही क्यों ना हो. चीन को ये समझ आ गया है कि ये भारत 1962 वाला भारत नहीं है.
उन्होंने कहा कि अगर हमारे देश ने 1962 में एयरफोर्स का इस्तेमाल किया होता तो आज नतीजा कुछ और ही होता. लेकिन उस दौर की सरकार कुछ और ही सोचा करती थी. लेकिन आज अगर जरूरत पड़ी तो हमारी सरकार और सेना पूरी तरह जवाब देने के लिए सक्षम और तैयार है.
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प्रोफेसर वीरेन्द्र चौहानप्रवक्ता, हरियाणा बीजेपी
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