Bharat Ratna Karpoori Thakur: केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार (23 जनवरी) को बड़ा ऐलान किया. सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की है. ये ऐलान ऐसे समय पर किया गया है जब बुधवार (24 जनवरी) को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है. कर्पूरी ठाकुर को बिहार में जननायक के नाम से पुकारा जाता है.


कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेस मुख्यमंत्री रहे हैं. ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 तक मुख्यमंत्री रहे थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने नौकरियों में मुंगेरीलाल कमीशन लागू कर गरीबों और पिछड़ों को आरक्षण दिया. इसके बाद वह जून 1977 से अप्रैल 1979 तक दोबारा सीएम बने.


पिछड़े वर्गों के हितों की करते थे वकालत 
वह पहली बार वह सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय क्रांति दल की सरकार में सीएम बने थे और वह दूसरी बार जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री बने थे. बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले कर्पूरी ठाकुर नाई जाति से थे. वह पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे. 


1924 में हुआ था कर्पूरी ठाकुर का जन्म
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 1924 में समाज के सबसे पिछड़े वर्गों में से एक नाई समाज में हुआ था. उन्होंने सामाजिक भेदभाव और असमानता के खिलाफ संघर्ष किया. उनकी नीतियों और सुधार के लिए उठाए गए कदमों से कई लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आए खासकर शिक्षा, रोजगार और किसान कल्याण के क्षेत्र में.


'भारतीय संविधान की भावना का प्रतीक'
इस मौके पर केंद्र सरकार ने कहा ठाकुर को सम्मानित करके सरकार लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में उनकी भूमिका को मान्यता देती है. उनका जीवन और उनके कार्य भारतीय संविधान की भावना का प्रतीक है, जो सभी के लिए समानता, भाईचारे और न्याय की वकालत करते हैं. यह पुरस्कार न केवल ठाकुर की पिछली उपलब्धियों की मान्यता है बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम भी करेगा. यह उन मूल्यों की याद दिलाता है जिनके लिए ठाकुर हमेशा खड़े रहे.


बता दें कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए लंबे समय मांग उठ रही थी. इससे पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने ठाकुर को भारत रत्न देने के साथ-साथ उनके नाम पर विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी. 


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