Anand Mohan Released: पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन (Anand Mohan) को गुरुवार (27 अप्रैल) को तड़के 4.30 बजे जेल से रिहा कर दिया गया. अब बिहार सरकार को जेल नियमावली में बदलाव करने और गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. आनंद मोहन सिंह एक युवा आईएएस अधिकारी और तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे.
आनंद मोहन सिंह की तरफ से कथित रूप से उकसाई गई भीड़ ने कृष्णैया की हत्या कर दी थी. उन्हें उनकी सरकारी कार से बाहर खींच लिया गया और पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई. 1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे. इस मामले में आनंद को निचली अदालत ने 2007 में मौत की सजा सुनाई थी. एक साल बाद 2008 में पटना हाईकोर्ट ने सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.
अपनी रिहाई पर क्या बोले आनंद मोहन
आनंद मोहन ने तब फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली है और वह सहरसा जेल में था. उनकी पत्नी लवली आनंद भी लोकसभा सांसद रह चुकी हैं, जबकि उनके बेटे चेतन आनंद बिहार के शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं. अपनी रिहाई पर हंगामे का जवाब देते हुए सिंह ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिलकिस बानो मामले के दोषियों को भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दबाव में रिहा किया गया था.
15 दिन की पैरोल के बाद कल ही लौटा था जेल
सिंह इससे पहले अपने विधायक पुत्र चेतन आनंद की सगाई समारोह में शामिल होने के लिए 15 दिन की पैरोल पर आए थे. वह पैरोल की अवधि पूरी होने के बाद 26 अप्रैल को सहरसा जेल लौटे थे और अगले ही दिन यानी 27 अप्रैल को उनकी रिहाई हो गई.
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