नई दिल्ली: बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की मौत के मामले में आज दस साल की सजा सुनाई गई है. पीड़िता के पिता की गैरइरादतन हत्या मामले में कुलदीप सेंगर पर केस चल रहा है. कल सज़ा पर बहस पूरी हो गई थी. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने इस मामले में 4 मार्च को सेंगर समेत सात आरोपियों को दोषी करार दिया था. पीड़िता के पिता की मौत 9 अप्रैल, 2018 को पुलिस हिरासत में हो गई थी.
बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने जिरह के दौरान कहा था कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए और उनकी आंखों में तेजाब डाल दिया जाना चाहिए. सजा की अवधि पर सुनवाई के दौरान सेंगर ने खुद ही अपना पक्ष रखा. उन्होंने जिला जज धर्मेश शर्मा के समक्ष दावा किया कि पीड़िता के पिता की हत्या में उनकी संलिप्तता नहीं है.
रेप के आरोप में सुनाई गई थी उम्रकैद
साल 2017 में लड़की से बलात्कार के एक अन्य मामले में सेंगर को पिछले साल 20 दिसम्बर को स्वभाविक मौत होने तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई थी. सीबीआई ने सेंगर और अन्य के लिए अधिकतम सजा की मांग की है जिसमें मामले में दोषी करार दिए गए दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इसमें माखी थाने के तत्कालीन प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया और तत्कालीन उपनिरीक्षक के. पी. सिंह शामिल हैं.
पीड़िता के पिता की हत्या करने का इरादा नहीं था- सेंगर
अदालत ने गैर इरादतन हत्या के मामले में चार मार्च को सेंगर और सात अन्य को दोषी ठहराया था और कहा था कि उनका पीड़िता के पिता की हत्या करने का इरादा नहीं था. अदालत ने सेंगर, भदौरिया और सिंह के साथ विनीत मिश्रा, बीरेन्द्र सिंह, शशि प्रताप सिंह, सुमन सिंह और अतुल (सेंगर के भाई) को आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत दोषी पाया था. इसके अलावा उन्हें आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 304 (गैर इरादतन हत्या) सहित कई अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था. बहरहाल अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए कांस्टेबल आमिर खान, शैलेन्द्र सिंह, रामशरण सिंह और शारदावीर सिंह को बरी कर दिया था.
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