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मोदी सरकार में आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा- 'नोटबंदी से विकास सुस्त, मंदी के लिए तैयार रहें'
पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि हमें कुछ समय की मंदी के लिए खुद को तैयार रखना होगा. मैं कई कारणों से यह बात कह रहा हूं. सबसे पहले तो वित्तीय प्रणाली दबाव में है. वित्तीय परिस्थितियां बहुत कठिन हैं.
![मोदी सरकार में आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा- 'नोटबंदी से विकास सुस्त, मंदी के लिए तैयार रहें' Former Chief Economic Advisor Arvind Subramanian On demonetisation GST and Farmer Crises मोदी सरकार में आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा- 'नोटबंदी से विकास सुस्त, मंदी के लिए तैयार रहें'](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/06/20163617/Arvind-Subramanian.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: नोटबंदी के समय मोदी सरकार के आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने एक बार फिर नोटबंदी और जीएसटी पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि इससे विकास की रफ्तार मंद हुई है. सुब्रमण्यन ने रविवार को आगाह किया कि कृषि और वित्तीय व्यवस्था के दबाव में होने से भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए नरमी के दौर में फंस सकती है. ‘ऑफ काउंसेल : द चैलेंजेज ऑफ द मोदी-जेटली इकोनॉमी’ के विमोचन के मौके पर उन्होंने कहा कि बजट में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से राजस्व वसूली का लक्ष्य तर्कसंगत नहीं है.
उन्होंने कहा, “बजट में जीएसटी से वसूली के लिए जो लक्ष्य रखा गया है, वह व्यवहारिक नहीं है. मैं स्पष्ट तौर पर कहूंगा कि बजट में जीएसटी के लिए अतार्किक लक्ष्य रखा गया है. इसमें 16-17 प्रतिशत (वृद्धि) की बात कही गयी है.” सुब्रमण्यम ने कहा कि जीएसटी की रुपरेखा और बेहतर तरीके से तैयार की जा सकती थी. वह जीएसटी के लिए सभी तीन दर के पक्ष में दिखे.
नोटबंदी के वक़्त आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा- 'ये फैसला बहुत बेहरम, मौद्रिक सदमा था'
अर्थव्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा, “हमें कुछ समय की मंदी के लिए खुद को तैयार रखना होगा. मैं कई कारणों से यह बात कह रहा हूं. सबसे पहले तो वित्तीय प्रणाली दबाव में है. वित्तीय परिस्थितियां बहुत कठिन हैं. ये त्वरित वृद्धि के लिए अनुकूल नहीं है.” बकौल सुब्रमण्यम कृषि क्षेत्र अब भी दबाव में है.
उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगले साल होने वाले चुनाव के दौरान विभिन्न पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र में सार्वभौमिक न्यनूतम आय (यूबीआई) के मुद्दे को शामिल किया जाएगा. इसी दौरान सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता में कटौती नहीं की जानी चाहिए.
हालांकि उन्होंने कहा कि आरबीआई की अतिरिक्त आरक्षित राशि का इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के पूंजीकरण के लिए करना चाहिए ना कि सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए. नीति आयोग द्वारा हाल में जारी संशोधित जीडीपी आकंड़े के बारे में सुब्रमण्यम ने कहा कि इससे कई सारे सवाल उत्पन्न हो गए हैं.
उन्होंने कहा, “आप उस अवधि के अन्य संकेतकों पर ध्यान देते हैं तो आप उनमें और हालिया आंकड़ों में बहुत अधिक अंतर पाते हैं. इसे स्पष्ट किये जाने की जरूरत है.”
अरविंद सुब्रमण्यम ने जून में मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद छोड़ दिया था. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक लंबा फेसबुक पोस्ट लिख कर ये जानकारी दी थी. सुब्रमण्यम को 16 अक्टूबर, 2014 को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया था. उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी. 2017 में उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था.
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