ISRO साजिश मामले में पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज को मिली अंतरिम जमानत
एसआईटी जांच दल के तत्कालीन प्रमुख मैथ्यूज ने उन रिपोर्टों के बाद अदालत का रुख किया कि सीबीआई ने उन्हें यहां एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष दायर प्राथमिकी में 18 आरोपियों में नामजद किया है.
तिरुवनंतपुरम: तिरुवनंतपुरम की एक स्थानीय अदालत ने पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज को अंतरिम जमानत दे दी, जिन्हें 1994 के जासूसी मामले में साजिश की जांच कर रही सीबीआई ने आरोपित किया है. कार्यवाही से जुड़े एक वकील ने बताया कि जिला अदालत ने अधिकारी को अंतरिम जमानत दे दी और मामले को आगे की सुनवाई के लिहाज से मंगलवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
एसआईटी जांच दल के तत्कालीन प्रमुख मैथ्यूज ने उन रिपोर्टों के बाद अदालत का रुख किया कि सीबीआई ने उन्हें यहां एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष दायर प्राथमिकी में 18 आरोपियों में नामजद किया है. जांच एजेंसी ने कथित तौर पर आपराधिक साजिश, अपहरण और सबूत गढ़ने सहित विभिन्न अपराधों से संबंधित भारतीय दंड संहिता की लगभग 10 धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं.
उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल को आदेश दिया था कि इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन से संबंधित 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट सीबीआई को दी जाए और एजेंसी को इस मुद्दे पर आगे की जांच करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा था कि सीबीआई पैनल के निष्कर्षों को प्रारंभिक जांच के हिस्से के रूप में मान सकती है और एजेंसी से तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपने को कहा.
1994 में सुर्खियों में आया जासूसी का यह मामला भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर कुछ गोपनीय दस्तावेजों को दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार अन्य लोगों द्वारा विदेशों में भेजने के आरोपों से संबंधित है. वैज्ञानिक को तब गिरफ्तार किया गया था जब केरल में कांग्रेस सरकार थी. सीबीआई ने अपनी जांच में माना था कि नारायणन की अवैध गिरफ्तारी के लिए केरल के तत्कालीन शीर्ष पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे.
इस मामले का राजनीतिक असर भी पड़ा, कांग्रेस के एक वर्ग ने इस मुद्दे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिवंगत के करुणाकरण को निशाना बनाया, जिसके कारण अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. लगभग ढाई साल की अवधि में, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डी के जैन की अध्यक्षता वाले पैनल ने गिरफ्तारी की परिस्थितियों की जांच की.
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