साल 2019 में अल-कायदा कश्मीर में बड़े हमले की साजिश रच रहा था और इस बात की भनक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) को लग गई. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस हमले को रोकने में ISI ने अहम रोल निभाया था. पाकिस्तान में भारत के हाई कमिश्नर रहे अजय बिसारिया ने अपनी किताब में इस घटना का जिक्र किया है.
उन्होंने बताया कि साल 2019 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने कश्मीर में हमले की सूचना दी थी, जो सच निकली. आंतकी संगठन अल-कायदा यह हमला करने की योजना बना रहा था. अजय बिसारिया ने अपनी नई किताब 'एंगर मैनेजमेंट: द ट्रबल्ड डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप बिटविन इंडिया एंड पाकिस्तान' में पुलवामा हमले और अपने कार्यकाल के दौरान की कई घटनाओं को लेकर खुलासे किए हैं. इनमें जून, 2019 का वह वाकया भी शामिल है, जब ISI ने कश्मीर में हमले की प्लानिंग की सूचना दी थी और बताया कि वह इसमें शामिल नहीं है.
जब अजय बिसारिया को रात 2 बजे आई थी ISI से कॉल
अजय बसारिया ने बताया कि ISI पुलवामा वाली घटना दोहराना नहीं चाहता था और राजनीतिक स्तर पर साफ करना चाहता था कि बदले के मकसद से कोई हमला करने की उसकी कोई योजना नहीं है. वह ऐसी किसी प्लानिंग में शामिल नहीं है. बिसारिया ने बताया कि 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने के कुछ दिन बाद जून में उन्हें इस्लामाबाद से रात को 2 बजे एक कॉल आई. यह कॉल ISI के करीबी शख्स की थी. अजय बिसारिया को लगा कि यह एक नॉर्मल कॉल है और इतनी देर रात कॉल को लेकर वह हैरान भी नहीं हुए क्योंकि रमजान के दौरान पाकिस्तान में लोग सहरी के लिए सुबह में जल्दी उठते हैं.
अजय बिसारिया ने बताया कि कॉल में उन्हें इनुपट मिला कि अल-कायदा कश्मीर में हमले की प्लानिंग कर रहा है. 23 मई को कश्मीर के त्राल में आतंकी जाकिर मूसा की हत्या हुई थी. त्राल पुलवामा जिले में है. अलकायदा मूसा की हत्या का बदला लेने के लिए इस हमले की साजिश रच रहा था.
सही थी ISI की सूचना
अजय बिसारिया ने पूछा किया क्या यह सूचना सैन्य चैनल, DGMO हॉटलाइन के माध्यम से दी गई है, तो जवाब था कि हो सकता है, लेकिन ISI नेतृत्व यह जानकारी उन तक पहुंचाना चाहता है ताकि भारत तक यह सूचना पहुंचे. उस समय असीम मुनीर ISI के डीजी थे. अजय बिसारिया ने बताया कि सूचना को लेकर उन्हें इस बात का संशय भी था कि कहीं यह कोई मजाक तो नहीं, लेकिन सूचना सही निकली. उन्होंने बताया कि जो सूचना उन्हें दी गई, उसी समय के आस-पास कश्मीर में हमले की कोशिश हुई थी.
दो साल पाकिस्तान में भारतीय राजनयिक थे अजय बिसारिया
आमतौर पर पाकिस्तान की तरफ से इस तरह की चीजें नहीं देखी गई थीं. पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दवाब बहुत ज्यादा था और उसे डर था कि कहीं भारत बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद कोई और हमला ना करे इसलिए वह साफ कर देना चाहता था कि अल-कायदा के किसी हमले में उसकी कोई संलिप्तता नहीं है. दूसरी थ्योरी यह है कि 14 जून को बिश्केक सम्मेलन से पहले पाक आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा भारत के साथ ISI के जरिए रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहे थे. अजय बिसारिया साल 2017 से अगस्त, 2019 तक पाकिस्तान में भारत के राजनयिक के तौर पर सेवा दे चुके हैं.
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