भारत के पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज वरिष्ठ नेता नटवर सिंह ने अफगानिस्तान में तालिबान के राज पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने तालिबान के साथ-साथ भारत सरकार के रवैये पर भी बयान दिया है. नटवर सिंह ने आज हमारे संवादाता आशीष कुमार सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत के की और इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई.


नटवर सिंह ने आज संवादाता से खास बातचीत में कहा कि भारत को तालिबान से पहले ही बाचतीत करते रहना चाहिए था. उन्होंने कहा हमें उनसे भी संबंध रखने चाहिए जिनसे हमारे खराब भी हो. उन्होंने कहा अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश तालिबान से बातचीत कर रहे थे तो हमें भी उनसे बातचीत करते रहना चाहिए था. हालांकि उन्होंने बातचीत को ओपन में करने की बात नहीं कही, उन्होंने कहा हमें Back Side Diplomacy अपनाकर तालिबान से बातचीत करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा यह हर बड़े मुल्क करते हैं और इसकी जानकारी बाहर पता नहीं चलती है.


नटवर सिंह ने कहा हमें यह स्टडी करना चाहिए कि आखिर अफगानिस्तान में हो क्या रह है. अफगानस्तान में हमारा दूतावास है और तालिबान की यह पीढ़ी से बिल्कुल अलग है. इनका रवैया अलग है. इससे पहले का तालिबान गोली चलाती थी यह तालिबान गोली नहीं चला रही है. तालिबान ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की है उससे किसी को कोई ऐतराज नहीं है. उन्होंने कहा हम तालिबान ने कहा है कि हम चाहते है कि हमारी सरकार बने हम औरतों को परेशान नहीं करेंगे, हम किसी के घर में नहीं घुसेंगे.


अब तो तालिबान की करजई से बात हो रही है अब्दुल्ला से बात हो रही है. यह इनमें बड़ा अंतर है पिछले तालिबान ने किसी से बात ही नहीं की थी उन्होंने बहुतों को गोली मार दी थी. हमें फिलहाल इनका रवैया देखना होगा. फिलहाल तालिबान को सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं है और उन्हें वह सीखना पड़ेगा.


महिला एंकरों के हटाने और अभी जारी हिंसा पर पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान में कुल 34 प्रांत है, इनमें से कुछ प्रांतों से हिंसा की खबरें सामने आ रही है. काबुल में भी कुछ जगहों पर हिंसा हुई है. पर इस बार तालिबान के लीडरों ने जिस तरह का बयान दिया है वो जिम्मेदारी वाला है. फिलहाल किसी भी देश ने तालिबान को मान्यता नहीं दी यहां तक की रूस ने कहा है कि हम आपका रवैया देखेंगे तभी आपसे राजनीतिक रिश्ता कायम करेंगे. चीन ने भी कहा है कि जो भी सरकार अफगानिस्तान में बने वह वहां की जनता को मंजूर हो.


उन्होंने कहा अभी भारत को इस मसले पर कोई कदम नहीं उठाना चाहिए. हमने अफगानिस्तान से रिश्ते तोड़े नहीं है हमारा दूतावास अभी भी वहां है और वह हिंसा के कारण फिलहाल बंद किया गया है. बाकी अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद उसका रवैया देखते हुए हमें आगे के लिए कदम उठाने चाहिए.


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