नई दिल्ली: फेसबुक के खिलाफ फेसबुक के ही एक पूर्व कर्मचारी गवाही दे सकते हैं. मार्क एस लुकी नाम के फेसबुक के पूर्व कर्मचारी गवाही देने के लिए तैयार हो गए हैं. दिल्ली दंगों में फेसबुक की भूमिका पर आम आदमी पार्टी विधायक राघव चड्ढा की अध्यक्षता में बनी दिल्ली विधान सभा की शांति और सद्भाव समिति के समाने गवाही देंगे मार्क एस लुकी.


लुकी का दावा है कि फेसबुक अल्पसंख्यक समुदाय के हित में काम नहीं करता है. दावे के मुताबिक फेसबुक के काम करने का तरीका भ्रामक है. वो समाज में विभाजन पैदा करता है. फेसबुक लिंग जाति, धर्म, जातीयता के आधार पर अंतर करता है. मार्क एस लुकी ने नवंबर 2018 में फेसबुक को छोड़ दिया था, लुकी कल समिति के सामने पेश होंगे.


यह पहला मौका है जब अंतरराष्ट्रीय फेसबुक कर्मचारी भारत में समिति के सामने फेसबुक के नकाब को उठाने और पर्दे के पीछे की वास्तविकताओं को उजागर करने के उद्देश्य से आगे आया है. अभी तक समिति को फेसबुक के कामकाज का बाहर से अवलोकन कर रहे विशेषज्ञों से इनपुट मिले हैं. लुकी के माध्यम से समिति को फेसबुक की सूक्ष्मताओं से परिचित कराया जाएगा, विशेष रूप से ऐसे किसी व्यक्ति के जरिए जिसने बेहद नजदीक से काम किया हो.


कौन हैं मार्क एस लुकी?
फेसबुक इंक में 2017 से 2018 तक रहे मार्क एस लुकी डिजिटल रणनीतिकार, पूर्व पत्रकार और लेखक हैं. उन्होंने दुनिया के प्रभावशाली सामाजिक प्लेटफार्म फेसबुक, ट्विटर और रेडिट में मीडिया का नेतृत्व किया है. उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट, सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग, द लॉस एंजिल्स टाइम्स और एंटरटेनमेंट वीकली की डिजिटल पहल का भी नेतृत्व किया है


पूर्व कर्मचारी मार्क लुकी ने फेसबुक के कामकाज को लेकर क्या दावा किया है?
फेसबुक अपने काम से समुदायों को बांटता है
फेसबुक पर जाति धर्म के आधार पर अंतर किया जाता है
अल्पसंख्यकों को भरोसा नहीं कि फेसबुक उनका भला चाहता है
संचार प्रक्रिया से अल्पसंख्यकों को बाहर रखा जा रहा है
फेसबुक पर अश्वेतों के साथ भेदभाव होता है
अश्वेतों के कंटेंट बिना नोटिस के फेसबुक से हटा दिए जाते हैं


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