Afghanistan Crisis: पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर बुधवार को कहा कि भारत सरकार को तालिबान के कब्जा करने से पहले ही उसके साथ खुले तौर पर संपर्क स्थापित करना चाहिए था. उन्होंने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करता है तो फिर भारत को उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहिए.
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पहली सरकार में विदेश मंत्री और अतीत में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे 92 वर्षीय सिंह का कहना है कि फिलहाल भारत को ‘प्रतीक्षा करने और नजर रखने’ की रणनीति पर अमल करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दिनों अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान 20 साल पहले के तालिबान के मुकाबले बेहतर दिखाई देता है.
उनके मुताबिक, अफगानिस्तान से ‘भाग चुके’ राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ भारत के नजदीकी रिश्ते थे, लेकिन हालात अब बहुत ज्यादा बदल चुके हैं. सिंह ने कहा कि हालात ‘‘विपरीत नहीं’’ हैं, यहां तक कि सांकेतिक मित्रता भी नहीं है, यही वजह है कि भारत सरकार बहुत सावधान है. उनका कहना है कि अमेरिका को बहुत सारी जिम्मेदारी लेनी होगी क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने सैनिकों को हटाकर तालिबान के लिए वहां आना आसान कर दिया.
नटवर सिंह ने ये टिप्पणियां उस वक्त की हैं, जब अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ देने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को तालिबान के साथ पहले ही संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने इसका जवाब हां में दिया और तालिबान के साथ अमेरिका के बातचीत करने का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं विदेश मंत्री होता तो मैं उनके साथ संपर्क करता. मैं अपने तरीके से आगे बढ़ा होता और अपनी खुफिया एजेंसी से कहता कि चुपचाप संपर्क किया जाए.’’
पूर्व विदेश मंत्र ने गुआंतानामे में क्यूबा के साथ अमेरिका के संपर्क किये जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत को तालिबान के साथ संपर्क करना चाहिए था क्योंकि ‘हम पाकिस्तान और चीन के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ सकते.’’ इस सवाल पर कि क्या भारत को भी चीन की तरह तालिबान के साथ सार्वजनिक रूप से संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने कहा कि कम से कम विदेश सचिव के स्तर पर भारत को तालिबान के साथ खुले तौर पर संपर्क रखना चाहिए था.
उनके मुताबिक, मौजूद तालिबान पहले के तालिबान से बेहतर नजर आता है क्योंकि वो लोग खुलेआम ‘हिंदू विरोधी’ थे. ये अभी भी पाकिस्तान के ज्यादा नजदीक हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इस्लामाबाद उन्हें अपनी शर्तों पर चला सके. सिंह ने इसका उल्लेख भी किया कि भारत ने अफगानिस्तान में तीन अरब डॉलर का निवेश किया है.
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