नई दिल्ली: देश में राफेल पर छिड़ी सियासी जंग के बीच एक नया मोड़ आ गया है. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा है कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और दैसॉ एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था. फ्रांस की एक पत्रिका में छपे इंटरव्यू के मुताबिक, ओलांद ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से ही रिलायंस का नाम दिया गया था. इसे चुनने में दैसॉ एविएशन की भूमिका नहीं है.
हमारे पास कोई विकल्प नहीं था- ओलांद
ओलांद ने कहा, 'भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे दैसॉ ने बातचीत की. दैसॉ ने अनिल अंबानी से संपर्क किया. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. हमें जो वार्ताकार दिया गया, हमने स्वीकार किया.'
IN DETAIL: क्या है राफेल डील और क्या हैं इस फाइटर प्लेन की खासियतें?
ओलांद के बयान की पड़ताल जारी- रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान की पड़ताल की जा रही है. साथ ही ये भी कहा गया है कि पूरी डील में फ्रांस या भारत किसी भी सरकार का कोई रोल नहीं था. ओलांद की यह बात सरकार के दावे को खारिज करती है जिसमें कहा गया था कि दैसॉ और रिलायंस के बीच समझौता एक कमर्शल पैक्ट था जो कि दो प्राइवेट फर्म के बीच हुआ. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी.
मनीष तिवारी ने ओलांद से पूछा- 590 करोड़ से 1690 करोड़ कैसे हुई कीमत?
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस आर्टिकल को रीट्वीट करते हुए ओलांद से पूछा, 'कृपया आप हमें यह भी बताएं कि राफेल की 2012 में 590 करोड़ की कीमत 2015 में 1690 करोड़ कैसे हो गई. मुझे पता है कि यूरो की वजह से यह कैलकुलेशन की दिक्कत नहीं है.'
समझौता दो प्राइवेट कंपनियों के बीच, सरकार का कोई हाथ नहीं- मोदी सरकार
बता दें कि कांग्रेस इस बात को लेकर सरकार को घेरती रही है कि इस डील में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को क्यों नहीं शामिल किया गया. इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री सीतारमण ने जवाब दिया कि यह समझौता दो प्राइवेट कंपनियों के बीच हुआ था. इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं था.
एचएएल के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू ने कहा था कि HAL लड़ाकू विमान बना सकती है. रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा था कि विमान बनाने वाली सरकारी कंपनी इस विमान को बनाने में तकनीकी रूप से कई मामलों में सक्षम नहीं है. टीएस राजू ने कहा था कि फ्रांस की कंपनी को विमान बनाने का ठेका इसलिए दिया गया ताकि वह इसे सस्ते में बनाकर दे.
रक्षा मंत्री से इस्तीफा मांग रहा है विपक्ष
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर राफेल मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था. विपक्षी दल ने हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू के बयान का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री से इस्तीफा मांगा था.
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