बेंगलुरू: कर्नाटक में एक बार फिर बीजेपी सत्ता में वापसी कर चुकी है. अब उसके सामने बहुमत साबित करने की चुनौती है. इस बीच तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है. दरअसल, जेडीएस के कुछ विधायकों ने कहा है कि पार्टी को येदियुरप्पा सरकार को बाहर से समर्थन देना चाहिए. हालांकि शनिवार शाम होते-होते जेडीएस ने इसपर सफाई दी.
पार्टी ने कहा, ''जेडीएस के बीजेपी से हाथ मिलाने की अफवाहों पर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को ध्यान नहीं देना चाहिए. यह सिर्फ बकवास और निराधार है. हम लोगों के लिए काम करेंगे. बीजेपी के साथ जाने का मतलब है लोगों के खिलाफ काम करना!''
इससे पहले जेडीएस के विधायक और पूर्व मंत्री जी टी देवगौड़ा ने कहा था कि उनकी पार्टी के कुछ विधायकों ने एच डी कुमारस्वामी से कर्नाटक में बीजेपी सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात कही है. पार्टी के भविष्य की रणनीति के संबंध में कुमारस्वामी द्वारा शुक्रवार रात बुलाई गई बैठक में विधायकों में मतभेद उभरकर सामने आए.
पार्टी विधायकों से मिलने के बाद जी टी देवगौड़ा ने कहा, ‘‘हमने (विधायकों) भविष्य की रणनीति पर चर्चा की. कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि हमें विपक्ष में बैठना चाहिए जबकि कुछ विधायकों की राय है कि हमें बाहर से बीजेपी को समर्थन देना चाहिए.’’
हफ्तों चले राजनीतिक ड्रामा और कानूनी लड़ाई के बाद कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उन्हें सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है. इससे पहले राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार 99 - 105 के अंतर से विश्वास मत हार गई थी क्योंकि उनके 20 विधायक सदन में अनुपस्थित रहे थे.
इन 20 विधायकों में से तीन को विधानसभा अध्यक्ष ने 25 जुलाई को अयोग्य ठहरा दिया था जबकि बीएसपी के एकमात्र विधायक का रूख अभी तक स्पष्ट नहीं है. अब बीजेपी इस बात पर विचार कर रही है कि अगर विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने खुद पद नहीं छोड़ा तो वह उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.
बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि कुमार को पद छोड़ने के लिए संदेश दे दिया गया है जो परंपरागत रूप से सत्तारूढ़ दल के किसी सदस्य के पास होता है. मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले उन्हें यह संदेश दिया गया है.