केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी बतौर विधायक चांडी पूरे करेंगे 50 साल, जानिए कैसा रहा सफर
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी अगले महीने विधायक के रूप में अपने 50 साल पूरे करने वाले हैं. ओमान ने एक विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1970 के विधानसभा चुनावों के बाद की थी.
तिरुवनंतपुरम: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी अगले महीने इतिहास बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. वह कोट्टायम जिले के पुथुपल्ली विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में अपने 50 साल पूरे करने वाले हैं. दो बार केरल के मुख्यमंत्री रह चुके ओमान ने एक विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1970 के विधानसभा चुनावों के बाद की.
करीब 26 साल की उम्र में चांडी ने पहली बार चुनावी लड़ाई जीती और तब से लगातार विधानसभा चुनावों में अपनी जीत दर्ज करा रहे हैं. विधायक के रूप में 50 साल पूरे करने के साथ ही वह पहले कांग्रेस नेता होंगे, जिन्होंने यह रिकॉर्ड बनाया है.
चांडी से पहले स्वर्गीय के.एम. मणि, जो केरल कांग्रेस के सुप्रीमो थे और जिनका पिछले साल निधन हो गया, वे एकमात्र ऐसे रिकॉर्ड बनाने वाले विधायक हैं. उन्होंने 1967 से कोट्टायम जिले में पाला का प्रतिनिधित्व किया था, और 52 सालों तक विधायक रहे.
चांडी का परिवार अलाप्पुझा जिले से ताल्लुक रखता है, हालांकि उनके दादाजी बाद में पुथुपल्ली में जाकर बस गए थे. साल 2011-16 तक मुख्यमंत्री रहे चांडी को वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और सीपीआई-एम के राज्य सचिव कोडियरी बालाकृष्णन के नेतृत्व वाले सीपीआई-एम के हमलों का सामना करना पड़ा.
जैसे ही विजयन ने सत्ता संभाली, केरल पुलिस ने चांडी और अन्य राजनीतिक नेताओं के खिलाफ सरिता नायर की शिकायत के आधार पर गैर-जमानती मामले दर्ज किए. इनमें कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल भी शामिल थे. यहां अपने निवास पर आईएएनएस के साथ एक विशेष बातचीत में, चांडी ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन के बारे खुलासा किया. साक्षात्कार के कुछ अंश-
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि विजयन आपके साथ अपने आंकड़ें सही करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि आपने भी साल 2006 में एसएनसी लवलीन मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी? कहीं उसी के बदले में तो विजयन ने सरिता नायर द्वारा लगाए गए सौर मामले और आरोपों के केस फाइल को फिर से खोल दिया है?
उत्तर: मैं वह इंसान हूं जो निजी संबंधों को बहुत महत्व देता हूं. यह सच है कि मुख्यमंत्री के रूप में मैंने सीबीआई जांच के लिए लवलीन मामले की सिफारिश की थी. हमने ऐसा किया था और जब एक रिपोर्ट आई थी तो जाहिर हुआ कि जब भ्रष्टाचार की बात आती है, तो सभी राजनीतिक दल चीजों को निपटाने में मिलेजुले होते हैं. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हम एक गलत संदेश नहीं भेजना चाहते थे और इसलिए हमने जांच की सिफारिश की थी.
लेकिन वह बस इतना ही था. उस समय की यूपीए सरकार के बावजूद, अगर हम मामले को आगे बढ़ाना चाहते, तो हम ऐसा कर सकते थे. लेकिन केंद्र ने सीबीआई जांच को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया. हालांकि बाद में केरल हाईकोर्ट में एक याचिका के आधार पर सीबीआई जांच की घोषणा की गई थी.
सौर मामले के संबंध में मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और मैं बिल्कुल चिंतित नहीं हूं. जब 2016 में विजयन सरकार सत्ता में आई और हमारे खिलाफ गैर-जमानती धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए, मैंने एक मजबूत स्थिति ली कि मैं कोई कानूनी सहारा नहीं लूंगा.
मेरे वरिष्ठ पार्टी सहयोगी परेशान थे और वे चाहते थे कि मैं अपने वकील कपिल सिब्बल से बात करूं. जब मैंने उनसे कहा कि मैं बिल्कुल भी चिंतित नहीं हूं, क्योंकि मैंने कोई गलत काम नहीं किया है, तो उन्होंने कहा कि अगर मैं आश्वस्त हूं, तो यह ठीक है. मैं जेल चला जाऊंगा. पुलिस को मुझे गिरफ्तार करने दो. मैं जेल में होने के बाद ही कानूनी सहायता लूंगा और उससे पहले नहीं. पुलिस की कुछ टीमें जिन्हें जांच का काम दिया गया था, वे इसके साथ आगे बढ़ी ही नहीं.
प्रश्न: कुछ हाईप्रोफाईल मामलों को लेकर विजयन विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना झेल रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि उनका कार्यालय चांडी की तरह नहीं है. क्या यह सच है?
उत्तर: हो सकता है कि वर्तमान परिस्थितियों और कठिन परिस्थितियों के कारण वह और उनकी सरकार इस दौर से गुजर रहे हों.
प्रश्न: आप विजयन सरकार का मूल्यांकन कैसे करेंगे?
उत्तर: मैं कहना चाहूंगा कि जब कोई भी सत्ता में होता है, तो उसे खुले दिमाग से काम लेना चाहिए और सहयोगियों और अधिकारियों को सुनने के लिए तैयार होना चाहिए, और फिर निर्णय लेना चाहिए. मैंने हमेशा मीडिया को बहुत महत्व दिया है, क्योंकि यह सुधारात्मक बल की तरह काम करता है. मीडिया पर आलोचना के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगता है. जब मैंने आलोचना सुनी तो मुझे बहुत ताकत मिली, क्योंकि मुझे लगा कि आत्मनिरीक्षण करने का समय आ गया है.
मेरी कार्यशैली तुरंत निर्णय लेने की रही है. मान लें कि मैं 100 फाइलों पर जल्द निर्णय लेता हूं. हो सकता है, उनमें से 10 गलत हों. मैंने हमेशा अपने अधिकारियों को कहा कि वे फाइलों पर अपनी आपत्ति उठाएं, ताकि मैं खुद को ठीक कर सकूं. यदि मुझे निर्णय लेने में लंबा समय लगता है, तो मैं सिर्फ 10 फाइलों पर निर्णय ले सकता हूं. इस प्रक्रिया में कई लोगों को कई चीजों का सामना करना पड़ सकता है.
प्रश्न: आप 50 साल में खुद को विधायक के रूप में कैसे देखेंगे?
उत्तर: यह मेरी उपलब्धि नहीं है. मैं अपनी पार्टी का कर्जदार हूं, जिसने मुझे 1970 के बाद से सभी चुनाव लड़ने की अनुमति दी. इसके अलावा, पुथुपल्ली में मेरे मतदाताओं का बराबर योगदान है, जिन्होंने सुनिश्चित किया कि मैं हर बार चुनाव लडूं.
प्रश्न: आपको प्रभावित करने वाले कोई भी रोल मॉडल?
उत्तर: महात्मा गांधी एक रोल मॉडल रहे हैं, क्योंकि उन्होंने हमेशा दिखाया कि उन्होंने जो कहा, उसमें विश्वास किया और उस पर अमल किया. स्वर्गीय राजीव गांधी भी एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने मुझे बेहद प्रभावित किया, क्योंकि उन्होंने पांच साल के छोटे से समय में देश के लिए बहुत कुछ किया.
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