नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर 19 सितंबर को दक्षिणी दिल्ली की पूर्व मेयर सरिता चौधरी का उनके पति आजाद सिंह के साथ मारपीट का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में साफ तौर पर मारपीट को देखा जा रहा है. मारपीट के बाद सरिता ने 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुला लिया था. उस वक्त जिसने भी वो वीडियो देखा यही सोचा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और दोनों के बीच किस बात पर लड़ाई हुई?


एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में सरिता चौधरी ने बताया, "उस दिन बीजेपी ऑफिस में हमारी बैठक थी, जैसे ही बैठक से बाहर निकली तो मेरे पति आज़ाद सिंह ने मुझे लात मारी और कई थप्पड़ मारे,अश्लील गालियां दीं और वहां से चला गया. उस दिन कोई बड़ी बात नही हुई थी वो अक्सर मार पीट करते रहे हैं."


पार्टी कार्यालय में हुई मारपीट के बाद बीजेपी ने इस घटना को संज्ञान में लेते हुए 4 अक्टूबर को दक्षिण दिल्ली की पूर्व मेयर सरिता चौधरी और उनके पति आजाद सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया.


निष्कासन को लेकर पार्टी का बयान


निष्कासन के बाद जारी बयान में कहा गया, "आपको दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के निर्देश पर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया गया है."


सरिता चौधरी पति पर आरोप लगाते हुए बताती हैं कि उनके पति आज़ाद सिंह का चरित्र ठीक नही है और उसने कई बार उनके साथ रेप भी किया जिसके खिलाफ उन्होंने जुलाई 2019 में FIR की थी. साथ ही बेटी के सामने बोला था कि तेरा एक्सीडेंट करवा दुंगा या तेरे मुंह पर एसिड डलवा दूंगा.


'पार्टी ने मुझे क्यों सजा दी'


सरिता बताते-बताते भावुक हो जाती हैं और कहती हैं कि मैं बहुत परेशान हूं ,अब यह सब मेरे लिए असहनीय हो गया क्योंकि मेरा पति अब मेरी छोटी बहन पर बुरी नज़र डाला हुआ है और उस से शादी करने का दबाव मेरी मां पर बना रहा है.


2013-2014 में दक्षिणी दिल्ली की महापौर रहीं सरिता चौधरी पूछती हैं कि आखिर उन्हें किस चीज की सजा पार्टी की ओर से दी गई? उन्होंने कहा, "थप्पड़ भी मुझे मारा गया और सजा भी मुझे मिली."


जब एबीपी न्यूज़ ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने अपने साथ हो रही हिंसा और रेप की घटनाओं की जानकारी पार्टी के उच्चाधिकारियों को या बीजेपी महिला मोर्चा को दी तो इस पर वो कहती हैं कि "मैंने प्रदेश के नेताओं को कई बार यह बात लिखित में दी लेकिन मेरी बात को नही सुना गया. मेरी बात को अनसुना किया गया. क्या अपने साथ हो रही हिंसा और अपमान के खिलाफ आवाज उठाना गलत है? पार्टी मेरा परिवार है, अगर पार्टी ही साथ नही देगी तो क्या करूँ?"


'पेशे से वकील हैं सरिता'


सरिता चौधरी पेशे से वकील हैं और बीजेपी के साथ लंबे वक्त से जुड़ी रही हैं. 2002 से नगर निगम का टिकट दिया था वहां से जीत हांसिल करने के बाद उन्हें 2007 और 2012 में फिर से टिकट दिया गया और हर बार उन्हें विजय प्राप्त हुई. लिहाजा 2013 में उन्हें पार्टी द्वारा मेयर जैसा महत्पूर्ण पद दिया गया.


सरिता चौधरी को जब पुलिस, पार्टी या प्रशासन से न्याय की उम्मीद नही बची तो वो मीडिया के समक्ष आकर इंसाफ की मांग कर रही हैं साथ ही अपील भी कर रही हैं कि उनकी सदस्यता और मान सम्मान वापस दिलाया जाए.


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