मुंबई: मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और चर्चित IPS अफसर राकेश मारिया आज रिटायर हो रहे हैं. शीना बोरा मर्डर केस में विवाद होने के बाद जब मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से मारिया का तबादला बतौर डीजी होमगार्ड्स कर दिया गया तबसे उन्होंने कैमरे पर एक बार भी बातचीत नहीं की. रिटायरमेंट से ठीक पहले उन्होंने पहली बार ABP News से बातचीत की. जिस शीना बोरा मर्डर केस को लेकर विवाद हुआ उसपर भी मारिया खुलकर बोले.


राकेश मारिया से ये खास बातचीत एबीपी न्यूज़ के संवाददाता जितेंद्र दीक्षित ने की.


आइए जानते हैं कि मारिया ने क्या कुछ कहा है:-


- पुलिस कमिश्नर का काम सिर्फ कार्यक्रमों में जाकर फीता काटना नहीं होता है. शीना बोरा का केस भी नोएडा के आरूषि हत्याकांड जैसा न हो जाये इसलिए मैं खुद उसकी जांच कर रहा था.


- मुझे पीटर मुखर्जी से पूछताछ के लिए सिर्फ एक दिन का ही मौका मिला. मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारी सफाई से संतुष्ट नहीं हूं. अगले दिन 12 बजे जब मैंने पीटर को थाने बुलाया तब तक मेरा तबादला कर दिया गया. मैंने अपने अफसरों को लिखित में निर्देश दिया था कि पीटर को एक संदिग्ध की नजर से देखा जाये.


- इस मामले से पहले न तो मैं कभी पीटर या इंद्राणी से मिला और न ही मैंने कभी उनसे बात की.


- मैंने खुद सरकार को खत लिखकर इस मामले में बड़ा वकील रखने की गुजारिश की थी क्योंकि ये लोग मामले को प्रभावित कर सकते थे.


- मैंने कभी किसी आरोपी से अकेले में पूछताछ नहीं. मेरे साथ हर वक्त 12 अफसर मौजूद रहते थे.


- आज सीबीआई का भी पूरा केस मेरी जांच में जुटाये गये सबूतों पर आधारित है.


- जो लोग मुझे शीना बोरा केस में आसामान्य रूचि लेने का आरोप लगा रहे हैं वे तब कहां थे जब मैंने इसी तरह की रूचि इस्थर अनुहाया केस, नीरज ग्रोवर केस के वक्त ली थी और याकूब मेमन को फांसी दिये जाने वाले दिन खुद सड़क पर बाकी फोर्स के साथ तैनात था या जब लालबाग में हिंसा के दौरान मैं खुद फील्ड पर उतरा था.


- बचपन से मुझे पेचीदा केसों को हल करने का नशा रहा है और उसी नशे के चलते मैं हर वैसे केस में इंटरेस्ट लेता था.


- रिटायरमेंट के बाद मैं राजनीति ज्वाइन नहीं करूंगा. अपनी किताब लिखूंगा और खेल जगत की सेवा करूंगा.