नई दिल्ली: देश के 267 सेवानिवृत्त अखिल भारतीय सिविल सेवा और पुलिस अधिकारियों, सेना, वायु सेना और नौसेना के दिग्गजों, शिक्षाविदों, पेशेवरों और अन्य लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज को लेकर दिए गए महबूबा मुफ्ती के बयान की निंदा की है. उन्होंने सरकार से महबूबा मुफ्ती को जेल भेजने की मांग की है. साथ ही फारुख अब्दुल्ला के चीन के पक्ष में दिए गए बयान को भी देशविरोधी करार दिया है. पूर्व अधिकारियों का ग्रुप उनके बयानों से आहत है और दोनों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है. पूर्व लेफ्टिनेंट जर्नल वीके चतुर्वेदी के संयोजन में यह लिखा गया है.


दरअसल महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जब तक कश्मीर का झंडा नहीं फहराया जाएगा, तब तक भारत का झंडा नहीं फहराएंगे. उनके इस बयान को देश के पूर्व अधिकारियों ने राष्ट्रीय सम्मान के साथ छेड़छाड़ माना और राष्ट्रीय संप्रभुता का अपमान करार दिया है. इससे आहत पूर्व अधिकारियों के ग्रुप ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.


अधिकारियों के मुताबिक इस अधिनियम के तहत जो कोई भी अपमान करता है या अवमानना ​​दिखाता है, चाहे वह शब्दों द्वारा, या तो लिखित या लिखित, या कृत्यों द्वारा, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज या भारत का संविधान या उसके किसी भी भाग को प्रस्तुत करेगा. ऐसे शब्द के लिए कारावास से दंडित किया जा सकता है, जो तीन साल तक या जुर्माना या दोनों के साथ हो सकता है. अधिकारियों के मुताबिक महबूबा मुफ्ती ने अपने उत्तेजक बयानों के माध्यम से कश्मीर के लोगों को आगे बढ़ने के लिए उकसाया है.


अधिकारियों ने मांग की है कि महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाए.


कश्मीरी पंडितों का पलायन राष्ट्रीय धब्बा


अधिकारियों ने पत्र में कहा कि भारतीय लोकतंत्र के भीतर कश्मीरी पंडितों का पलायन, जहां संविधान अपने नागरिकों को जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, राष्ट्र के विवेक पर एक धब्बा था.