नई दिल्ली: राजनीति में वैचारिक तौर पर एक दूसरे की धुर विरोधी कांग्रेस और बीजेपी के नेता आज भले ही एक दूसरे की तारीफ करने से सार्वजनिक तौर पर बचते हों लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कभी तारीफ करने में संकोच नहीं किया. बात 1987 और 88 की है. तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री और अटल बिहारी वाजपेयी सांसद थे. उन्हें किडनी में इंफेक्शन हो गया और डॉक्टरों ने अमेरिका में जाकर इलाज कराने की सलाह दी. इस बात की जानकारी राजीव गांधी को मिली. तब उन्होंने योजना बनाकर वाजपेयी को अमेरिका भेजा.
राजीव गांधी ने अटल बिहारी वाजपेयी को अपने ऑफिस बुलाया. उन्होंने वाजपेयी को अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) की एक बैठक में शामिल होने के लिए कहा. राजीव ने कहा कि आप न्यूयॉर्क जाएंगे तो अच्छा लगेगा. उम्मीद है कि इस अवसर का लाभ उठाएंगें और वहां अपना इलाज कराएंगें. बाद में वाजपेयी ने बैठक में हिस्सा लिया और इलाज कराकर लौटे.
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'द अनटोल्ड वाजपेयी: पॉलिटीशियन एंड पैराडॉक्स' में लेखक उल्लेख एनपी ने इसका जिक्र है. किताब में वाजपेयी के हवाले से कहा गया है, ''जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. तो उन्हें पता चला की हमें किडनी की समस्या है और विदेश में इलाज की जरूरत है. उन्होंने एक दिन अपने कार्यालय में बुलाया और कहा कि आप यूएन जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में आप भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इस मौके का आप फायदा उठाएंगे. मैं न्यूयॉर्क गया और यही वजह है कि आज मैं जिंदा हूं.''
वाजपेयी ने वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिये गये इंटरव्यू में भी इसका जिक्र किया था. उन्होंने राजीव गांधी की हत्या पर दुख प्रकट करते हुए कहा था, ''राजीव गांधी की असमय मौत मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. राजीव जी ने कभी भी राजनीतिक मतभेदों को आपसी संबंधों पर हावी नहीं होने दिया. मैंने अपनी बीमारी की बात ज्यादातर लोगों को नहीं बताई थी लेकिन राजीव गांधी को किसी तरह से इस बारे में पता चल गया. उसके बाद उनकी मदद के कारण ही मैं स्वस्थ हो पाया.''