Sanjay Gandhi Death: संजय गांधी की मृत्यु से एक दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में मां चामुंडा देवी के दर्शन के लिए जाने वाली थीं, लेकिन ऐन वक्त पर उनका प्लान कैंसिल हो गया. कॉलमनिस्ट नीरज चौधरी की किताब में इसका जिक्र किया गया है. किताब में कहा गया कि जब इंदिरा गांधी की यात्रा कैंसिल हुई तो मंदिर के पुजारी ने कहा कि देश की सत्ता में काबिज शख्स की ओर से किए गए अपमान के लिए देवी मां चामुंडा माफ नहीं करती हैं.


द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नीरज चौधरी की किताब 'हाउ प्राइम मिनिस्टर डिसाइड' को अगले हफ्ते एलेफ द्वारा प्रकाशित किया जाएगा. इसमें इसे किस्से का जिक्र करते हुए कहा गया कि 22 जून, 1980 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित मां चामुंडा देवी के मंदिर दर्शन के लिए जाने वाली थीं, लेकिन लास्ट मिनट पर उनकी यात्रा कैंसिल हो गई. उनकी यात्रा के सभी इंतजाम मोहन मीकिन ग्रुप के कपिल मोहन के भतीजे अनिल बाली देख रहे थे. 


इंदिरा गांधी की यात्रा कैंसिल होने पर पंडित ने कही थी ये बात
किताब में कहा गया, पूरी हिमाचल प्रदेश सरकार और तत्कालीन मुख्यमंत्री राम लाल प्रधानमंत्री के स्वागत में जुटे थे. तभी जब मंदिर के पुजारी को पता चला कि इंदिरा गांधी मंदिर के दर्शन के लिए नहीं आ रही हैं तो उन्होंने कहा, "इंदिरा गांधी को बता देना, ये मां चामुंडा हैं. कोई साधारण व्यक्ति मंदिर आने में असमर्थ हो तो मां उसे क्षमा कर देती हैं, लेकिन इस पद पर बैठे शख्स की ओर से किए गए अपमान के लिए देवी मां क्षमा नहीं करती हैं. देवी की अवमानना नहीं कर सकते." 


किताब में कहा गया, मंदिर में पूजा करते हुए बस रोती रहीं इंदिरा
किताब में कहा गया कि इसके अगले ही दिन संजय गांधी प्लेन क्रैश में मारे गए. किताब में यह भी कहा गया कि जब अनिल बाली इंदिरा गांधी के आवास पर पहुंचे तो वह संजय गांधी के शव के पास बैठी थीं और उन्होंने बाली से पूछा, "क्या मेरे चामुंडा देवी के दर्शन के लिए नहीं जाने की वजह से ऐसा हुआ है?" इसके बाद 13 दिसंबर, 1980 को इंदिरा गांधी मां चामुंडा देवी के दर्शन के लिए गईं और उन्होंने वहां पूजा-अर्चना की.


संजय गांधी के नाम पर बनवाया था घाट
किताब में कहा गया कि इस दौरान, पंडित के भी हाथ कांप गए थे. किताब में लिखा है, "इंदिरा गांधी ने कहा कि मैं  एक हिंदू हूं... जब वह पूजा के दौरान पुरोहित के साथ मंत्र पढ़ रही थीं, मंदिर में माथा टेका और काली की पूजा के समय मुद्राएं कर रही थीं, उस वक्त वह सिर्फ रोए जा रही थीं." किताब में अनिल बाली के हवाले से बताया गया कि इंदिरा गांधी ने वहां पर संजय गांधी के नाम पर एक घाट बनाए जाने की भी घोषणा की थी, जिसकी लागत 80 लाख रुपये थी. कांग्रेस नेता सुखराम ने इस राशि का वहन किया था.


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