भारत-चीन सीमा विवाद: मनमोहन की मोदी को नसीहत, कहा- अपने शब्दों के प्रभाव पर ध्यान दें पीएम
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय जवानों की शहादत के बावजूद चीनी घुसपैठ नकारने वाले प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने उन्हें सोच-समझ कर बोलने की नसीहत दी है.
लद्दाख: पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवानों की शहादत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन को लेकर दिए गए बयान पर पूरा विपक्ष हमलावर है. अब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बयान जारी कर पीएम मोदी को नसीहत दी है. मनमोहन सिंह ने कहा है कि पीएम मोदी को अपने शब्दों के प्रभाव पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें अपने बयान से चीन के षड्यंत्रकारी दावे को बल नहीं देना चाहिए.
देश का नेतृत्व करने वालों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है- मनमोहन
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा, "आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं. हमारी सरकार के फैसले और सरकार की तरफ से उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करें. जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है. हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है. प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और ऐलानों से देश की सुरक्षा और भू-भागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति हमेशा सावधान होना चाहिए."
मनमोहन सिंह ने चीन पर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने का भी आरोप लगाया है. साथ ही केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति और मज़बूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता.
चीन ने कई बार भारत में घुसपैठ की- मनमोहन
अपने बयान में मनमोहन सिंह ने कहा, "चीन ने अप्रैल, 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवान वैली और पांगोंग त्सो लेक में कई बार जबरन घुसपैठ की है. हम न तो उनकी धमकियों और दबाव के सामने झुकेंगे और न ही अपनी भू-भागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे. प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने और स्थिति को ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें.
मनमोहन सिंह ने आगे कहा "हम प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वो वक्त की चुनौतियों का सामना करें और कर्नल बी. संतोष बाबू और हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें, जिन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ और ‘भू-भागीय अखंडता’ के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. इससे कुछ भी कम जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा.
गलवान घाटी में शहीद हुए 20 जवानों को श्रधांजलि देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जानी चाहिए. साथ ही यह भी कहा कि यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है और संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना है.
वहीं, इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रहे राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के बयान को ट्वीट करते हुए कहा कि "भारत की भलाई के लिए, मैं आशा करता हूँ कि प्रधानमंत्री, मनमोहन सिंह की बात को विनम्रता से मानेंगे."
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