पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर नई विश्व व्यवस्था को संचालित करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि भारत ने शांति की अपील करते हुए अपने संप्रभु और आर्थिक हितों को पहले स्थान पर रखकर सही काम किया है.


जी20 सम्मेलन से पहले द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका और चीन के साथ सीमा विवाद पर बात की. रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर मनमोहन सिंह ने कहा कि जब दो या उससे ज्यादा देशों के बीच तनाव होता है तो दूसरे देशों पर कोई एक साइड चुनने का दबाव बन जाता है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि शांति की अपील कर भारत ने बेहतर तरीके से अपने संप्रभु और आर्थिक हितों को प्रथम स्थान देकर सही काम किया है.' मनमोहन सिंह ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और चीन एवं पश्चिमी देशों के बीच तनाव के कारण विश्व व्यवस्था में बहुत बदलाव आ चुका है. इस नई व्यवस्था के संचालन में भारत ने अहम रोल निभाया है और आज वैश्विक तौर पर भी भारत की साख बढ़ी है.


तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के पीएम के दावे पर क्या बोले
2047 तक देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के पीएम मोदी के दावे पर मनमोहन सिंह ने कहा कि आने वाले सालों में भारत अर्थव्यवस्था का पावर हाउस होगा. उन्होंने द हिंदू में छपे अपने आर्टिकल का जिक्र करते हुए कहा कि भारत बदलती वैश्विक व्यवस्था में अद्वितीय आर्थिक अवसर के मुहाने पर खड़ा है. हालांकि, उसके पास एक बड़ा बाजार है और वह प्राकृतिक संसाधनों के जरिए  उत्पादन और निर्माण कर आने वाले दशकों में दुनियाभर में अर्थव्यवस्था का पावरहाउस होगा.


मनमोहन सिंह ने कहा- देश के भविष्य को लेकर चिंता से ज्यादा आशाएं
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत के भविष्य को लेकर मुझे चिंता से ज्यादा आशाएं हैं, लेकिन मेरा आशावाद इस पर निर्भर करता है कि भारतीय समाज में कितना सौहार्दपूर्ण माहौल है क्योंकि सही विकास के लिए सबसे जरूरी बुनियाद है.' उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में कहां खड़ा है, देश की राजनीति में इसका मुद्दा बनना भी चाहिए, लेकिन ये जरूरी है कि कूटनीति और विदेश नीति का निजी राजनीति या पार्टी के लिए उपयोग करने में संयम बरता जाए. 


पूर्व पीएम बोले- चीन सीमा विवाद पर जरूरी कदम उठाएंगे पीएम मोदी
भारत-चीन मुद्दे पर भी मनमोहन सिंह ने बात की और कहा कि यह दुख की बात है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी20 सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'चीन के साथ रिश्तों में सुधार के लिए  प्रधानमंत्री मोदी को क्या करना चाहिए, इस पर मेरा बोलना ठीक नहीं है. मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी इसके लिए जरूरी कदम अवश्य उठाएंगे.'


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