नई दिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि मैं न सिर्फ भारत का एक्सिडेंटल प्रधानमंत्री बना था बल्कि एक्सिडेंटल वित्त मंत्री भी रह चुका हूं. अपनी किताब 'चेंजिंग इंडिया' के लॉन्चिंग के दौरान उन्होंने कहा, "मैं न सिर्फ भारत का एक्सिडेंटल प्रधानमंत्री बना बल्कि एक्सिडेंटल वित्त मंत्री भी बना." इसके अलावे मनमोहन सिंह ने जोड़ा कि प्रधानमंत्री के रूप में प्रेस से बात करने में हमें कभी डर नहीं लगा.
नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बनने की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा, ''जब वह मुझे वह वित्त मंत्री बनाना चाहते थे तब मैं रोजाना की तरह अपने ऑफिस यूजीसी में बैठा हुआ था. उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि आपको शपथ लेना है.''
मनमोहन सिंह के इस बात को सुनकर वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे. बता दें कि ऐसे कई मौके आए हैं जब उन्हें चुप रहने वाला प्रधानमंत्री कहा गया है. खासकर चुनावी मौसम में उनके ऊपर एक के बाद एक कई हमले किए जाते रहे हैं कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री देश में जारी समस्याओं को लेकर बोलते ही नहीं हैं.
मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं कोई ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था, जिसे प्रेस से बात करने में डर लगता हो. मैं नियमित तौर पर प्रेस से मिलता था, और जब भी मैं विदेश दौरे पर जाता था, लौटने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन जरूरी बुलाता था." उन्होंने कहा, "उन तमाम संवाददाता सम्मेलनों को इस पुस्तक में वर्णित किया गया है."
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "लोग कहते हैं कि मैं एक मौन प्रधानमंत्री था, लेकिन यह किताब उन्हें इसका जवाब देगी. मैं प्रधानमंत्री के रूप में अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना चाहता, लेकिन जो चीजें हुई हैं, वे पांच खंडों की इस पुस्तक में मौजूद हैं."
मनमोहन सिंह ने जोड़ा कि जब वह 1991 में भारत के वित्त मंत्री थे, तो वह अपनी मदद से संकट को "महान अवसर" में बदलने में सफल रहे. उन्होंने जोड़ा कि मुझे इस देश ने जो दिया है, उसे मैं कभी वापस नहीं कर पाऊंगा.
पांच खंडों में प्रकाशित इस पुस्तक, चेंजिंग इंडिया, में कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में उनके 10 वर्षो के कार्यकाल, तथा एक अर्थशास्त्री के रूप में उनके जीवन के विवरण शामिल हैं.
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