नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार यह नहीं मानती कि कोई ‘आर्थिक नरमी’ जैसा शब्द है. यदि आप अपने समक्ष खड़ी समस्याओं को नहीं मानते तो संभवत: आप विश्वसनीय जवाब नहीं ढूंढ़ पाएंगे.


मोंटेक सिंह अहलूवालिया की किताब "बैकस्टेज" के लोकार्पण के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने यूपीए सरकार के अच्छे बिंदुओं के साथ ही उसकी कमजोरियों के बारे में भी लिखा है.


पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बहस होगी और इस पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि आज ऐसी सरकार है जो मंदी जैसे किसी शब्द को स्वीकार नहीं करती है. मुझे लगता है कि यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है."


उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप उन समस्याओं की पहचान नहीं करते जिनका सामना आप कर रहे हैं, तो आपको सुधारात्मक कार्रवाई के लिए विश्वसनीय हल मिलने की संभावना नहीं है. यह असली खतरा है." सिंह ने कहा कि यह पुस्तक देश के विकास के लिए बहुत मददगार होगी.


सिंह ने 1990 के दशक में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण में उन्हें समर्थन देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और अहलूवालिया द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की और वह विभिन्न तबकों के प्रतिरोध के बावजूद सुधारों को पूरा करने में सफल हो सके.


बता दें कि विपक्ष पार्टियां मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर विफल बता रही है और विकास दर, बेरोजगारी समेत अन्य आर्थिक पैमाने का उदाहरण देती है. विश्व बैंक और आईएमएफ समेत कई संगठनों ने विकास दर अनुमान घटा दिया है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जनवरी में भारत के लिए चालू वित्त वर्ष के विकास दर अनुमान को घटाकर 4.8 फीसदी कर दिया था. यह बीते साल इसी समय 7.5 फीसदी थी.


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