हैदराबाद: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज पीवी नरसिम्हा राव को देश का ‘महान सपूत’ बताया. पूर्व प्रधानमंत्री राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने कहा कि राव को वास्तव में भारत में आर्थिक सुधारों का जनक कहा जा सकता है .


उन्होंने कहा, ‘‘ आर्थिक सुधार और उदारीकरण में वाकई उनके सबसे बड़े योगदान हैं. विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदानों को कम करके आंका नहीं जा सकता है.’’


उन्होंने कहा कि विदेश नीति के संबंध में राव ने चीन सहित अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार के लिए प्रयास किया. उन्होंने याद किया कि 1991 में नरसिम्हा राव कैबिनेट में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने जो बजट पेश किया था उसने भारत को कई मायनों में बदल दिया क्योंकि इससे आर्थिक सुधारों और उदारीकरण की शुरूआत हुयी.


सिंह ने कहा, ‘‘राजनीतिक रूप से, यह बड़ा सवाल था कि क्या कोई चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करने के लिए कठोर निर्णय ले सकता है? यह अल्पमत सरकार थी, जो स्थिरता के लिए बाहरी समर्थन पर निर्भर थी. फिर भी नरसिम्हा राव जी सभी को साथ लेकर चलने और उन्हें अपनी प्रतिबद्धता से सहमत कराने में सक्षम थे. उनका भरोसा पाकर, मैंने उनकी दृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए अपना काम किया.’’


सिंह ने यह भी कहा कि कई मायनों में राव उनके "मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक" थे. उन्होंने कहा कि 1991 में तत्काल कठोर फैसले लिए जाने थे क्योंकि भारत विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार लगभग दो सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त रह गया था.


सोनिया गांधी क्या बोलीं?
तेलंगाना कांग्रेस ने 24 जुलाई को नरसिम्हा राव का जन्म शताब्दी समारोह शुरू किया है. इसी दिन 1991 में उनकी सरकार ने वह पहला बजट पेश किया था जिसे देश में आर्थिक सुधारों की दिशा में पहला प्रयास किये जाने का दावा किया जाता है.


इस मौके पर सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘नरसिम्हा राव के कार्यकाल में देश ने कई राजनीतिक, सामाजिक और विदेश नीति की उपलब्धियां हासिल कीं. वह एक समर्पित कांग्रेसी थे जिन्होंने विभिन्न भूमिकाओं में पार्टी की पूरे समर्पण के साथ सेवा की.’’


गांधी ने कहा, ‘‘नरसिम्हा राव एक सम्मानित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय हस्ती थे और कांग्रेस को उनकी विभिन्न उपलब्धियों और योगदानों पर गर्व है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ पी वी नरसिम्हा राव का जन्म शताब्दी वर्ष हम सभी के लिए मौका है कि हम एक बहुत विद्वान व्यक्तित्व को याद करें और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें. राज्य और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में लंबा जीवन बिताने के बाद वह ऐसे समय देश के प्रधानमंत्री बने जब गंभीर आर्थिक संकट था. ’’


प्रणब मुखर्जी ने क्या कहा?


वहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने रिकार्डेड संबोधन में कहा कि कि राव को कुछ ऐसा करने के लिए जाना जाता है जो कभी कभी असंभव जान पड़ता था. मुखर्जी ने कहा कि जब वह (अविभाजित) आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इस राज्य में व्यापक भूमि सुधार लाया जो उनके संकल्प का साहस था.


उन्होंने कहा, ‘‘ राव मुश्किल दौर में प्रधानमंत्री बने . न केवल अर्थव्यवस्था बल्कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर महज एक अरब डॉलर रह गया था और यह महज दो सप्ताह के आयात भर के लिए था.’’


उन्होंने कहा कि राव भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की संभावनाओं का द्वार खोलने के लिए उसमें क्रांतिकारी सुधार लाने वाले दूसरे प्रधानमंत्री थे. मुखर्जी ने कहा कि नरसिम्हा राव में चीन के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की जरूरत को पहचानने की क्षमता थी जिसके साथ पूर्वोत्तर से लेकर लद्दाख तक लंबी सीमा मिलती है.


पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सीमावर्ती क्षेत्र में शांति और अमन बनाकर रहने का पहला विचार उन्होंने ही रखा था और उसे बाद के प्रधानमंत्रियों ने लागू किया.’’


पूर्व काग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि राव की उल्लेखनीय राजनीतिक यात्रा रही जो साहस और संकल्प को परिलिक्षित करता है. गौरतलब है कि राव का जन्म 28 जून, 1921 को हुआ था और उनका निधन 23 दिसंबर, 2004 को हुआ. वह 21 जून, 1991 से 16 मई, 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे.


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