CBI: एनएसई (NSE) सीओ रवि नारायण (Ravi Narayan) और एमडी चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) सहित एनएसई के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे (Sanjay Pandey) की बनाई कंपनी के लिए काम किया था. पांडे की कंपनी iSEC ने शेयर बाजार के कर्मचारियों के फोन अवैध रूप से इंटरसेप्ट किए. केंद्रीय गृह मंत्रालय के कहने पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई (CBI) ने शुक्रवार को 18 शहरों में तलाशी अभियान शुरू किया. सीबीआई की अबतक की जांच में पता चला की मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे जब सर्विस में थे उन्होंने कथित तौर से अवैध जासूसी कराई.
इस मामले में एक बड़ा बिज़नेस जर्नलिस्ट भी सीबीआई के रेडार पर बताया जा रहा है और पांडे एक प्राइवेट बिसनेस चला रहे थे. नियमों के मुताबिक़ ऐसा टेलेफ़ोन इंटसरसेप्शन सिर्फ़ राज्य की एजेंसी कर सकती हैं. सीबीआई को छापेमारी के दौरान उस कंपनी के रिसिप्ट मिले हैं जिस कंपनी को संजय पांडे बैकिंग दे रहे थे.
और क्या क्या मिला छापेमारी में
- रिकॉर्डिंग के आवाज के सेम्पल मिले हैं.
- रिकॉर्डिंग के ट्रांसक्रिप्ट मिले हैं.
- iSec सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के परिसर से 2 लैपटॉप मिले हैं.
- इनमें संवेदनशील सबूत हैं जो फ़ोन टैपिंग से सम्बंधित हैं.
- ये वो सबूत हैं जो MTNL की चार लाइन के बारे में हैं जिसपर एक समय में 30 कॉल होते थे.
कर्मचारियों की जासूसी के लिए प्राइवेट कंपनी को किया हायर
सूत्रों ने बताया की NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्णा और रवि नारायण ने कर्मचारियों की जासूसी करने के लिए प्राइवेट कंपनी को हायर किया था. सीबीआई को शक है कि ये दोनों जानना चाहते थे कि क्या कोई कर्मचारी NSE की जानकारी किसी को लीक कर तो नहीं कर रहा. संजय पांडे जिस iSec सर्विस प्राइवेट कंपनी की बैकिंग कर रहे थे उसे कॉन्ट्रेक्ट अमाउंट के रूप में क़रीबन 4.45 करोड़ रुपए मिले थे.
पता चलने पर मशीन को किया नष्ट
सबसे महत्वपूर्ण है कि ये कथित जासूसी NSE CO location स्कैम के समय यानी की 2009-2017 के बीच हुई है और जब NSE का Co Location स्कैम का पता चला तभी कॉल रिकॉर्डिंग भी रोक दी गई थी. सूत्रों ने यह भी दावा किया है की जिस मशीन का इस्तेमाल कॉल रिकॉर्डिंग के लिए किया गया था उस मशीन को NSE ने E-वेस्ट के नाम पर नष्ट कर दिया था.
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