नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर टीआर कक्कड़ का मानना है कि जिन लोगों ने भी दिल्ली में भड़काऊ भाषण दिए चाहे वह बीजेपी के नेता थे या कांग्रेस के आला नेता उन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा उत्तर पूर्वी दिल्ली में पुलिस को गोली चलाने से नहीं हिचकना चाहिए था. उनका मानना है कि दंगे एक सोची-समझी साजिश के तहत हुए थे जिसमें पुलिस की चूक हुई है.


दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर टीआर कक्कड़ ने कहा कि बाहर बैठकर यह कहना बड़ा कठिन होता है कि पुलिस की चूक कहां हुई. इतने बड़े राष्ट्राध्यक्ष अमेरिका के राष्ट्र अध्यक्ष की विजिट हो रही थी इसलिए अधिकतर पुलिस बल की निगरानी एक तरफ थी. अल्पसंख्यक लोगों को यह पता था, साथ ही दिल्ली पुलिस को भी यह पता है कि यह इलाके ऐसे हैं खासकर सीलमपुर वगैरह जहां पहले भी छोटे से भड़काऊ भाषणों पर इस तरह की हरकतें होती रही है.


पुलिस चूक के सवाल पर पूर्व पुलिस कमिश्नर कक्कड़ ने कहा कि चूक तो यह हुई कि इस तरफ पुलिस को ज्यादा ध्यान और अच्छी तरीके से देना चाहिए था. खासकर 23 24 और 25 फरवरी को पुलिस की प्रेजेंस इन इलाकों में बढ़ा देनी चाहिए थी. अगर ऐसा होता तो जैसे ही दंगे शुरू होते तो उन पर काबू पाया जा सकता था. उन्होंने कहा कि बड़ी सोची-समझी साजिश है विपक्ष के लोगों ने अपनी नीति बना रखी थी और इसमें केवल एक का भड़काऊ भाषण नहीं था. कपिल मिश्रा पर भी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन और लोगों ने जिन्होंने भड़काऊ भाषण दिए उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.


उन्होंने कहा एक वीडियो आया है सलमान खुर्शीद का जिसमें वह आजादी आजादी कह रहे. इसी तरह से दिग्विजय सिंह की राजा का भी एक वीडियो आया है मणिशंकर अय्यर भाषण दिए और मुझे कहने में कोई हिचक नहीं है कि कांग्रेस की सोनिया, प्रियंका और राहुल ने भड़काऊ भाषण दिए ने कहा कि यह साजिश उन लोगों ने बनाई जो इस समय सरकार के खिलाफ है.


यह मुझे इल्म है कि एक कम्युनिटी को दंगे का काम सौंपा गया एक तरफ भड़काऊ भाषण हो रहे थे दूसरी तरफ सामान इकट्ठा हो रहा था लोग इकट्ठे किए जा रहे थे. मुसलमानों और हिंदुओं के घरों पर अलग-अलग तरह के निशान लगाए जा रहे थे, छतों पर पत्थर ले जाए जा रहे थे. एक मदरसा ऐसा भी था जहां गुलेल लगा कर रखी गई थी जहां से डेढ़ सौ गज तक पत्थर बम फेंके जा सकते थे. तैयारियां दंगे की पूरी तरह की गई थी और उनको यह पता था कि यह ऐसा समय है. जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत की यात्रा पर हैं और ऐसे में सरकार कोई कठोर कदम नहीं उठाएगी. उन्हें पता था कि प्रशासन कैसे एक्शन में आता है. उनको इसलिए पता था और इसका पूरा फायदा उठाया गया मैंने पहले ही कहा कि पुलिस को ज्यादा ध्यान देना चाहिए था.


क्या कोई पुलिस कमिश्नर उस पार्टी की सरकार के कैबिनेट मंत्री पर कार्रवाई कर सकता है जिस पार्टी की सरकार केंद्र में हो ? इसके जवाब में कक्कड़ ने कहा कि बड़ा कठिन प्रशन है जिस पुलिस कमिश्नर को कानून व्यवस्था संभालनी है उसे इन चीजों की परवाह नहीं होनी चाहिए. हमारे समय में सीएम बहुत कुछ कहते थे लेकिन हम नहीं करते थे तो क्या हुआ हमारा कार्यकाल पूरा होने के पहले ही हमें हटा दिया गया और हम चले गए लीडर का काम होता है फोर्स का मोराल हाई रखना है.


उन्होंने कहा कि ठाकुर मिश्रा अमानुल्लाह शशि थरूर और कांग्रेस के बड़े नेता इन सब पर बिना किसी भेदभाव के एफ आई आर दर्ज होनी चाहिए. अगर आप पुलिस कमिश्नर होते तो क्या कैसे हालत में क्या करते इसके जवाब में कक्कड़ ने कहा कि इतनी ढील नहीं देते जहां हुआ है वहां एक्शन ले लो बिना यह सोचे कि सरकार क्या कहेगी मानव अधिकार आयोग क्या कहेगा और कोर्ट क्या कहेगा उनका काम है. मेरा काम है पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था बनाए रखना शाहीन बाग के बाद जाफराबाद में जमा होने ही नहीं देना चाहिए था शाहीन बाग में किसी को भी इजाजत नहीं हो सकती कि वह 2 राज्यों की सड़क को जोड़ने वाली सड़क को जाम कर दे.


उन्होंने कहा कि अगर फायरिंग करनी पड़ेगी तो होने दीजिए हो सकता है 5- 10 लोग मर जाते मरने दीजिए. अभी तो 40 50 लोग मारे गए करोड़ों की प्रॉपर्टी डिस्ट्रॉय हो गई गोली चलती चलने दीजिए दंगाई चाहते हैं. दंगा हो तो गोली चलवाईए आईपीसी में साफ तौर पर लिखा है कि यदि जानमाल का खतरा है तो पुलिस के अलावा दूसरा आदमी भी अपनी सुरक्षा में गोली चला सकता है. उन्होंने कहा चूक हम लोगों से होती है हम लोग अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं करते कि कुछ कारणों से वह कारण आपको भी पता है मुझे भी पता है.


मुझे पूरा विश्वास है कि गोली चलती तो मैसेज भी जाता. कोई मरना नहीं चाहता नेता मरना नहीं चाहता नेता कभी नहीं मरता गरीब लोग मरते हैं. नेता क्यों मरेगा उन्होंने कहा कि हमारे समय में साल 1979 में दंगे होते थे तो हम लोग जाते ही गोली चला देते थे दो-चार लोग मरते थे और 2 घंटे में सब ठीक हो जाता था.


यह पूछे जाने पर कि जामिया का मामला भी तो दंगों का था और पुलिस ने वहां पर जब एक्शन लिया तो औवर एक्शन कहा गया. उन्होंने कहा कि ओवर एक्शन इन एक्शन माफी के साथ कहता हूं यह मीडिया को कहानी बनानी होती है. एयरकंडीशन कमरों में बैठने वाले लोग बताएंगे कि कौन से एक्शन हुआ है या वह बताएगा जो ठंड में सड़क पर खड़ा हुआ है. जिसे चार्ज दिया गया है ओवर एक्शन हुआ है या इलेक्शन हुआ है जिसे जो इंक्वायरी करनी है वह अपनी इंक्वायरी किया करें लेकिन जिसे जो एक्शन लेना चाहिए उसे एक्शन करना चाहिए.


नए पुलिस कमिश्नर के बारे में कक्कड़ ने कहा कि सचिदानंद यानी एसएन वास्तव दृढ़ निश्चय वाले व्यक्ति हैं. नो नॉनसेंस मैन है और इसीलिए कईयों को ना खुश कर देते हैं. बेहद ईमानदार हैं उनमें यह क्षमता है सबको साथ में लेकर चलेंगे किसी व्यक्ति विशेष को लेकर नहीं चलेंगे दिल्ली में केवल 10 जगह ऐसी है जहां हमेशा जातिगत दंगे होते हैं. इनमें जामिया बाटला निजामुद्दीन और नॉर्थ ईस्ट के इलाके हैं अब यह एसएन वास्तव को तय करना है कि उसे इन इलाकों में कैसी पॉलिशिंग करानी है उन्होंने कहा कि मेरा भी राइट है कि मैं भी सड़क पर चलूं.


अब हर डिस्ट्रिक्ट में एक या दो जगह ऐसी खोज नहीं होगी जहां लोग अपने धरना प्रदर्शन कर सकें उन्होंने कहा दिल्ली पुलिस का मोराल बहुत जल्दी ठीक हो जाता है. पुलिस देखती है कि हमारा लीडर कैसा है उन्होंने कहा कि वर्तमान में अब पुलिस को नॉर्थ ईस्ट में हर घर की तलाशी लेनी चाहिए. साथ ही जिन लोगों के पास लाइसेंसी हथियारों को भी वापस लेना चाहिए और इन हथियारों को पुलिस के किसी दूसरे शस्त्रागार में जमा करा देना चाहिए. नहीं तो दंगे होने पर थानों में मौजूद शस्त्रागार लूट जा सकते हैं. कक्कड़ ने कहा कि उत्तर पूर्व दिल्ली के इन इलाकों में अब अगले 3 महीने तक रात दिन पेट्रोलिंग होनी चाहिए किसी दूसरी पुलिस फोर्स की जरिए आरपीएफ सीआरपीएफ या किसी दूसरी पोस्ट की जा रही है और पुलिस को पिर्वेटिव एक्शन लेना चाहिए तड़ीपार करना चाहिए.