नई दिल्ली: भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर सात दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है. पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा.
गृह मंत्रालय ने कहा कि राजकीय शोक के दौरान देश भर में सरकारी भवनों पर तिरंगा आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं होगा.
बता दें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को दिल्ली के आर्मी अस्पताल में निधन हो गया. वह 84 वर्ष के थे. उनके पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने यह जानकारी दी.
पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को दिल्ली छावनी स्थित अस्पताल में गत 10 अगस्त को भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी. मुखर्जी को बाद में फेफड़े में संक्रमण हो गया.
अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘भारी मन से आपको सूचित करना है कि मेरे पिता श्री प्रणब मुखर्जी का अभी कुछ समय पहले निधन हो गया. आरआर अस्पताल के डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों और पूरे भारत के लोगों की प्रार्थनाओं और दुआओं के लिए मैं आप सभी को हाथ जोड़कर धन्यवाद देता हूं.’’
प्रणब मुखर्जी का सियासी सफर
प्रणब मुखर्जी सियासी गलियारे में प्रणब दा के नाम से पुकारे जाते थे. राजनीति में उनका लंबा अनुभव रहा जिसका लोहा हर किसी ने माना. यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी के पास वित्त मंत्रालय संभालने के अलावा कई अहम जिम्मेदारियां थीं.
प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के 'संकटमोचक' की संज्ञा दी गई. प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बांग्ला कांग्रेस से की थी. जुलाई 1969 में वे पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए. इसे बाद वे साल 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के सदस्य रहे. इसके अलावा 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे. मई 2004 में वे चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और 2012 तक सदन के नेता रहे.
2012 में प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया और वो एनडीए समर्थित पी.ए. संगमा को हराकर देश के 13वें राष्ट्रपति बने.
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