नई दिल्ली: दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स 2012-2017' प्रकाशित होते ही चर्चा में आ गई है. इस किताब में कई अलग-अलग पहलुओं पर बात की गई है. किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रपति रहते हुए प्रणव मुखर्जी ने अपने संबंधों को लेकर भी कई बातें लिखी हैं.


प्रधानमंत्री से रिश्तों को लेकर अपनी किताब में प्रणव मुखर्जी ने लिखा है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद आधुनिक भारत में यह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच सबसे सहज रिश्तों में से एक था.


'लोगों को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी एक बेहतर विकल्प लगी'
पुस्तक में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीजेपी को मिले निर्णायक जनादेश को स्वीकार किया है. उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने लगातार दो आम चुनावों में जीत हासिल की. वह लिखते हैं कि भारतीय मतदाता गठबंधन सरकार की अनिश्चितताओं से थक गए थे और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी उन्हें एक बेहतर विकल्प लगी जो उनकी जरूरतों को पूरा कर सकती है.


इसके साथ ही 2014 में कांग्रेस की करारी हार का जिक्र भी उन्होंने किया है. उन्होंने लिखा, “2014 में जब परिणाम घोषित हुए तो यह साफ हो गया कि कांग्रेस देश के लगभग हर हिस्से में बीजेपी के आक्रामक मोदी नेतृत्व का सामना करने में नाकाम रही और 44 सीटों तक सिमट कर रह गई. ”


पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी लिखा कि वह 2014 में बीजेपी को मिली शानदार जीत को लेकर आश्वस्त नहीं थे. उन्होंने कहा कि केवल पीयूष गोयल ही थे जो यह कह रहे थे कि बीजेपी 265 सीटें जीत जाएगी और यह आंकड़ा 280 तक जा सकता है. प्रणब मुखर्जी लिखते हैं, “मैं नहीं जानता था कि उनके इस आशावाद का कारण क्या था लेकिन मैंने उन्हें तब से गंभीरता से लेना शुरू कर दिया जब उन्होंने मुझे मोदी के विस्तृत इलेक्शन शेड्यूल के बारे में बताया जो न केवल भीषण था बल्कि बहुत श्रमसाध्य भी था. ”


'मोदी मूलरूप से एक राजनीतिज्ञ हैं'
किताब में प्रणब मुखर्जी ने नरेंद्र मोदी और डॉ. मनमोहन सिंह की भी तुलना की है. वह लिखते हैं कि डॉ मनमोहन सिंह मूल रूप से एक अर्थशास्त्री हैं जबकि मोदी के बारे में वह कहते हैं कि मोदी मूल रूप से एक राजनीतिज्ञ हैं. प्रणब मुखर्जी लिखते हैं, "वह गुजरात के सीएम थे और उन्होंने अपनी एक ऐसी छवि बनाई जो जनता को पसंद आ गई. उन्होंने प्रधानमंत्री पद अर्जित किया है."


'जल्द सीखने वाले हैं मोदी'
पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी किताब में लिखा है कि जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्हें विदेश नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वह गुजरात के सीएम के तौर कुछ देशों में जरूर गए थे लेकिन उनकी यात्राएं उनके राज्य से ही जुड़ी हुई थीं.


प्रणब मुखर्जी लिखते हैं कि पीएम मोदी ने जो किया वह किसी पहले के प्रधानमंत्री नहीं किया था. उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के शासनाध्यक्षों को आमंत्रित किया और इसमें पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम, नवाज शरीफ शामिल थे.


प्रणब मुखर्जी यह भी बताते हैं कि जब मोदी ने उन्हें अपने इस फैसले के बारे में बताया तो उन्होंने इसका स्वागत किया और जरूरी सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित करने की राय दी. वह लिखते हैं कि पीएम मोदी ने जल्दी है विदेश नीति की बारिकियों को समझ लिया.


'पीएम मोदी ने किया संसदीय परंपराओं का पालन'
प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा राष्ट्रपति मुखर्जी के साथ एक सम्मानजनक संबंध बनाए रखें और कई बार सावर्जनिक तौर पर पूर्व राष्ट्रपति के प्रति अपने सम्मान का इजहार भी किया.  प्रणब मुखर्जी ने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति को सूचित रखने और उनकी सलाह लेने की संवैधानिक परंपराओं को बनाए रखा.


वह लिखते हैं, मेरे कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी के साथ मेरे बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध रहे. हालांकि, अपनी बैठकों के दौरान मैंने नीतिगत मामलों पर अपनी सलाह देने में संकोच नहीं किया. ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने उन चिंताओं को प्रतिध्वनित किया, जिन्हें मैंने आवाज़ दी थी.


पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन के लोकतंत्रीकरण की उनकी पहली की पीएम मोदी द्वारा सराहना करने पर भी खुशी जाहिर की. वह लिखते हैं, "पीएम मोदी ने एक बार ट्वीट किया था कि मेरे कार्यकाल के तहत, राष्ट्रपति भवन 'लोकभवन' बन गया था. उन्होंने दोहराया कि मेरे कार्यकाल में ऐतिहासिक दस्तावेज का खजाना सबके सामने आया था. मेरा हमेशा से यह मानना था कि राष्ट्रपति भवन भारत के लोगों का था और उसे उनके लिए खोल देना चाहिए.


'पीएम मोदी ने शुरू की एक नई परंपरा'
प्रणब मुखर्जी ने प्रधान मंत्री मोदी द्वारा राष्ट्रपति की विदेश यात्राओं के लिए विस्तृत जानकारी देने के लिए भी सराहना की. उन्होंने लिखा, विदेश जाने से पहले, मैं पीएम के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करता था. वह मुझे एक पत्र भेजते थे जिसमें हमारे द्विपक्षीय संबंधों के मुख्य बिंदुओं का उल्लेख किया गया होता था.. यह पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई एक परंपरा थी."


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