नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में सदस्यों की संख्या तुरन्त बढ़ाने की वक़ालत की है. मुखर्जी का मानना है कि देश में जनसंख्या बढ़ने के साथ अब एक सांसद पहले के मुकाबले ज़्यादा लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो बेहद मुश्किल है. 2019 के चुनाव को आधार मानें तो आज हर सांसद औसतन 16 लाख मतदाताओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है.


प्रणब मुखर्जी ने कहा कि लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़ाकर 1000 कर देनी चाहिए. इसी तरह राज्यसभा में भी आनुपातिक बढ़ोतरी करनी चाहिए. फ़िलहाल लोकसभा में सीटों की अधिकतम मंजूर संख्या 552 है जबकि राज्यसभा में 250 है.


सेंट्रल हॉल को लोकसभा बनाया जाए


अगर सदस्य संख्या बढ़ती है तो उनके बैठने की जगह कहां होगी ? प्रणब मुखर्जी के पास इस सवाल का जवाब भी है. उन्होंने सुझाव दिया कि संसद भवन के सेण्ट्रल हॉल को लोकसभा बनाया जा सकता है जबकि आज के लोकसभा को राज्यसभा के तौर पर बदला जा सकता है. इसी तरह राज्यसभा को या तो लॉबी या फिर सेण्ट्रल हॉल बनाया जा सकता है.


नागरिकता कानून पर बवाल के बीच प्रणब मुखर्जी की नसीहत- सरकारों को सबको साथ लेकर चलना चाहिए


वैसे मोदी सरकार ने एक नए संसद भवन के निर्माण की योजना बनाई है जिसके 2022 में बनकर तैयार करने की मंशा है . प्रणब मुखर्जी ने परिसीमन आयोग बनाकर जल्द से जल्द सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रक्रिया शुरू करने की सलाह दी है.


2026 तक है संख्या बढ़ाने पर रोक


1952 में हुए पहले आम चुनाव में कुल 489 सीटों के लिए चुनाव हुए थे जो बढ़ते बढ़ते 1977 में 552 तक पहुंच गया. उस समय सीटों की संख्या 1971 की जनगणना के आधार पर तय की गई थी. बाद में 2002 में सीटों की संख्या 2026 तक नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया गया. 1976 में सीटों की संख्या की ऊपरी सीमा 552 तय करने के पीछे मंशा थी कि जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा दिया जा सके. कई राज्य सीटों की संख्या जनसंख्या के आधार पर बढ़ाने का विरोध इस आधार पर करते रहे हैं कि यूपी और बिहार जैसे राज्यों में लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ जाएगी क्योंकि इन राज्यों में जनसंख्या ज़्यादा तेज़ी से बढ़ी है. ज़ाहिर है सीटों की संख्या बढ़ने से इन राज्यों के सियासी रुतबे में इज़ाफ़ा होगा.