नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शिरकत करेंगे. यह दावा आरएसएस ने किया है. हालांकि प्रणब मुखर्जी के लिखित सहमति का इंतजार है. आरएसएस नेता प्रोफेसर राकेश सिन्हा ने कहा, ''पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में आने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. उन्होंने देश को संदेश दिया है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत होनी चाहिए दुश्मनी नहीं. आरएसएस-हिंदुत्व पर उठाए गए प्रश्नों का उत्तर उन्होंने निमंत्रण स्वीकार करके दिया है.'' आरएसएस सात जून को नागपुर में कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. जहां देशभर के 800 कार्यकर्ता शामिल होंगे.


जैसे ही ये खबर आई कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होंगे, कई तरह के सवाल उठने लगे. इसकी यह है कि प्रणब मुखर्जी चार दशकों तक कांग्रेस पार्टी में रहे. खास बात ये है कि इंदिरा गांधी के दौर से लेकर सोनिया गांधी के दौर तक पार्टी के अग्रणी नेताओं में वे शुमार किए जाते रहे. कांग्रेस के शासनकाल में भी उनका बड़ा दखल रहा है. मुखर्जी ऐसे वक्त में आरएसएस का निमंत्रण कबूल कर रहे हैं जब कांग्रेस आरएसएस के खिलाफ देश में माहौल खराब करने जैसे गंभीर आरोप लगा रही है.


प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह की सरकार में सत्ता के शिखर पर रहे हैं. उन्होंने वित्त, रक्षा, विदेश मंत्रालय जैसे कई अहम मंत्रालियों की जिम्मेदारी संभाली है. हालांकि वह कुछ सालों तक कांग्रेस से नाराज भी रहे और उन्होंने अलग पार्टी बनाई और फिर वह कांग्रेस में वापस लौट गए. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से ही वो पीएम की रेस में थे. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद वो प्रधानमंत्री की रेस में आगे रहे. 2004 लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने जीत हासिल की तो ऐसी चर्चा होने लगी थी कांग्रेस प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. वह 2012 में कांग्रेस के समर्थन से राष्ट्रपति बने.


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