नई दिल्ली: भारतीय राजनीति के करिश्माई नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को एम्स में निधन हो गया. वह 94 साल के थे. अटल बिहारी वाजपेयी को इसी साल 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था और डाक्टरों की निगरानी में पिछले नौ हफ्तों से उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी. उनकी स्थिति पिछले 36 घंटों में बिगड़ी और फिर उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया. निधन के बाद एम्स ने जारी बयान में बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने गुरुवार, 16 अगस्त, शाम 5 बजकर 5 मिनट पर अंतिम सांस ली.


पूरे देश में शोक की लहर, पीएम बोले - मैं शून्य में हूं
जैसे ही अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की खबर मिली तो पूरा देश गमगीन हो गया. राष्ट्रपित रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी,  बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और राहुल गांधी सहित देश की सभी पार्टियों के बड़े नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताया. पीएम मोदी ने कहा, ''मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है. हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे. अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था. उनका जाना, एक युग का अंत है.’’ वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शोक प्रकट करते हुए कहा, ‘‘आज भारत ने अपना एक महान सपूत खो दिया. वाजपेयी जी को करोड़ों लोग स्नेह और सम्मान देते थे. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और चाहने वालों के साथ हैं. हम उनकी कमी महसूस करेंगे.’’


राजनीति के अजातशत्रु वाजपेयी को सभी राजनीतिक दलों ने पार्टी लाईन से ऊपर उठकर श्रद्धांजलि दी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वाजपेयी एक 'सच्चे भारतीय राजनेता' थे. उन्होंने कहा, "उनका नेतृत्व, दूरदर्शिता, परिपक्वता और वाकपटुता उन्हें सबसे अलग बनाता है."


श्रद्धांजलि देने के लिए लगा तांता, सभी पार्टियों के नेताओं ने किए अंतिम दर्शन



रात करीब 8 बजे अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर एम्स से उनके घर पहुंचा. यहां उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. यहां पर पीएम मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित देश के बड़े नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.


सात दिन तक राष्ट्रीय शोक, ज्यादातर राज्यों में स्कूलों और दफ्तरों में छुट्टी
केंद्र सरकार ने वाजपेयी के निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार की घोषणा की है. इस दौरान भारत और विदेश में भारतीय दूतावासों में 16 अगस्त से 22 अगस्त के बीच राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. कोई आधिकारिक समारोह भी आयोजित नहीं होगा.


बीजेपी हेडक्वार्टर में सुबह 9 बजे से होंगे अंतिम दर्शन, शाम 4 बजे अंतिम संस्कार
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज अंतिम दर्शन के बाद बताया कि शुक्रवार सुबह 8 बजे अटल बिहारी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय पर रखा जाएगा. उनके पार्थिव शरीर को उनके  घर से सुबह 8-8.15 बजे ले जाया जाएगा.  बीजेपी ने सोशल मीडिया के जरिए भी बताया है कि 9 बजे से एक बजे के बीच पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी. ये अंतिम यात्रा दोपहर 1 बजे शुरू होगी जो कृष्णा मेनन मार्ग से अकबर रोड, इंडिया गेट, तिलक मार्ग, आईटीओ होते हुए करीब 4 बजे तक स्मृति स्थल पहुंचेगी. अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम चार बजे राजकीय सम्मान के साथ यमुना नदी के किनारे स्मृति स्थल पर किया जाएगा.


47 साल तक सांसद रहे अटल बिहारी वाजपेयी



अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक स्कूल टीचर कृष्ण बिहारी वाजपेयी और कृष्णा देवी के घर हुआ था. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई की. उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से एमए किया. कम्युनिज्म से थोड़े दिन के लगाव के बाद 1947 में वह आरएसएस के कार्यकर्ता बन गए. अविवाहित रहे वाजपेयी 1957 में पहली बार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से लोकसभा के लिए चुने गए. वह 47 साल तक सांसद रहे. वह दस बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे.


तीन बार देश के पीएम रहे ‘भारत रत्न’ अटल
अटल बिहारी वाजपेयी केंद्र में पांच साल पूरे करने वाली गैर-कांग्रेसी सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे. 1996 में केंद्र की सत्ता में बीजेपी की ताजपोशी वाजपेयी की कमान में ही हुई थी. वाजपेयी 3 बार प्रधानमंत्री रहे. वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी. 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी. 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. इस बार उनकी सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और स्वतंत्रता सेनानी से शुरू होकर एक पत्रकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता, संसद सदस्य, विदेश मंत्री, विपक्षी नेता तक का उनका राजनीतिक कैरियर एक ऐसे मोड़ पर आकर इतने गरिमामय तरीके से संपन्न हुआ कि वाजपेयी जन जन के प्रिय बन गए.


एक कवि के रुप में वाजपेयी


एक राजनेता के साथ ही वह बेहतरीन वक्ता और कवि के तौर पर भी जाने जाते हैं. उनके जीवन का सफर एक राजनेता से शुरु होकर एक कवि के पायदान तक पहुंचा. 'मैं गीत नया गाता हूं' और 'दूध में दरार पड़ गई' जैसी कविताएं लोगों के बीच काफी मशहूर रहीं. वाजपेयी की ऐसी ही कुछ बेहतरीन कविताएं ने उन्हें जनमानस के बीच एक कवि के रुप में स्थापित किया. यहां पढ़ें उनकी कविताएं


 साल 2015 में मोदी सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा था.



भारत ने उनके नेतृत्व में मई 1998 में राजस्थान के पोखरण रेंज में सफल परमाणु परीक्षण कर दुनिया में अपनी धाक जमा दी. अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन में एक और भी ऐतिहासिक पल था जब उन्होंने साल 2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों पर अपना दुख जाहिर किया था. उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के प्रधानमंत्री थे. दंगों से वह इतने व्यथित हुए कि अपनी भावनाओं को छुपा नहीं सके और उन्होंने वह ऐतिहासिक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार को ‘‘राजधर्म ’’ का पालन करना चाहिए.


साल 2004 के आम चुनाव में एनडीए की हार के बाद वाजपेयी ने 2005 में राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लिया. इसके बाद वाजपेयी का स्वास्थ्य खराब रहने लगा और धीरे-धीरे वह सार्वजनिक जीवन से दूर होते चले गए. मधुमेह से पीड़ित वाजपेयी का सिर्फ एक ही गुर्दा काम कर रहा था. साल 2009 में स्ट्रोक के कारण उन्हें डिमेंशिया हो गया था. इसी साल 11 जून को गुर्दे, यूरीन में इनफेक्शन और सीने में जकड़न की शिकायत पर उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. आज उन्होंने अंतिम सांस ली.


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