नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल का 82 साल की उम्र में निधन हो गया. दिल्ली के गंगाराम अस्पातल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बतौर पुलिस अधिकारी केपीएस गिल का नाम इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा.
केपीएस गिल जिन खूबियों के लिए याद किए जाएंगे उनमें उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता सबसे अव्वल है. ये केपीएस गिल का ही कमाल था कि जब पंजाब जल रहा था, खालिस्तान की मांगे जोरों पर थी और सिख समुदाय के युवाओं में देश के प्रति गुस्सा बरपा था, उन्होंने उस जहर के फण को तोड़ दिया था. सिखों की बहुसंख्यक आबादी वाले राज्य पंजाब से आतंकवाद को खत्म करने का श्रेय गिल को ही जाता है. अपने इन्हीं सख्त छवि के लिए गिल को भारत का पहला 'सुपर कॉप' कहा जाने लगा.
आतंकवाद को लेकर केपीएस गिल के विचार सख्त थे. उनका मानना था कि आतंकवाद का जवाब गोली से देना चाहिए. उन्होंने आतंकवाद के नाम पर कभी भी समझौता नहीं किया. पुलिस सेवा से मुक्त होने के बाद भी केपीएस गिल के तेवर नहीं बदले. रिटायरमेंट के बाद भी उनकी दक्षता को सभी सलाम करते रहे. सरकार किसी भी पार्टी को हो, मुश्किल हालात में उनसे सलाह-मशविरा लिए जाते रहे. गिल गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा सलाहकार भी नियुक्त हुए.
पंजाब में चले लंबे ऑपरेशन को याद करते हुए केपीएस गिल हमेशा 'ऑपरेशन नाइट डॉमिनेंस' का जिक्र करते थे. केपीएस गिल ने एक बार कहा था कि इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस रात भर आतंवादियों का सफाया करने के लिए काम करती थी.
गिल की बहादुरी के बहुत किस्से हैं, लेकिन उनकी जिंदगी के कई रंग हैं जिसके कैनवस पर कुछ बदनुमा दाग़ भी हैं. केपीएस गिल पर मानवाधिकार हनन के भी आरोप तो लगे ही, उनपर रेप का आरोप भी साबित हुआ. भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे.