(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Hanuman Chalisa Row: 'मुंबई में लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने की साजिश', राजद्रोह के मुकदमे पर ये बोले माजिद मेमन
Majid Memon On Hanuman Chalisa Row: सीनियर एडवोकेट और पूर्व राज्यसभा सांसद माजिद मेमन ने कहा कि किसी को हनुमान चालीसा पढ़ना है तो घर पर पढ़िए, मंदिर में पढ़िए. लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने का हक किसी को नहीं
Majid Memon On Sedition: महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पाठ को लेकर राजनीति गरमा गई है. मुंबई में हनुमान चालीसा पढ़ने को लेकर हुआ विवाद थमता नहीं दिख रहा है. सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा के खिलाफ राजद्रोह की धारा भी लगाई गई है. इस पूरे मसले पर एबीपी न्यूज ने सीनियर एडवोकेट और पूर्व राज्यसभा सांसद माजिद मेमन से बातचीत की. माजिद मेमन ने कहा कि आम तौर पर मैं सेडिशन के चार्ज का विरोध करता हूं और हमेशा कहता हूं कि जब तक ठोस सबूत न मिले तबतक ऐसे सेक्शन ना लगाए जाए. पर यहां पर जिस तरह के हालात पैदा किए जा रहे हैं, लॉ एंड ऑर्ड़र को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में पुलिस ने जो किया वो सही ही किया होगा.
मुंबई में लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने की कोशिश- माजिद मेमन
सीनियर एडवोकेट और पूर्व राज्यसभा सांसद माजिद मेमन ने आगे कहा कि हनुमान चालीसा पढ़ना है तो घर पर पढ़िए, मंदिर में पढ़िए, इस तरह से नहीं होता है. अगर आप क़ानून व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ करेंगे और ऐसे समय में जब आपको पता है कि मुंबई में प्रधानमंत्री खुद आने वाले हैं. आप ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि PM को यह लगे की यहां की कानूनी व्यवस्था ठीक नहीं है और वो राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सिफारिश करें तो ये तो ग़लत बात है.
सेडिशन चार्ज लगाना गलत नहीं है- माजिद मेमन
माजिद मेमन ने कहा कि मुझे लगता है इसके पीछे साज़िश है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री हमेशा सुबह उठकर ये सोचते हैं कि ऐसा कुछ करने से वो दुबारा मुख्यमंत्री बन जाएंगे तो ऐसा नहीं होता. उन्हें चुनाव तक इंतज़ार करना चाहिए और चुनाव जितना चाहिए. मेरे ख्याल से इस तरह से सेडिशन के चार्ज लगाना हवा बाज़ी नहीं है और डिफ़ेंस के वकीलों को पूरा अधिकार है कि वो इसका विरोध करना चाहते हैं तो करें. ये तो अब कोर्ट तय करेगा कि उसके सामने रखे गए तथ्य कितने मजबूत हैं. ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया इसका मतलब ये नहीं होता है कि केस कमजोर है. और शायद इसी वजह से कोर्ट ने ज़मानत याचिका पर तुरंत सुनवाई नहीं की. 29 तारीख़ का समय दिया.
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