नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई को राज्यसभा में मनोनीत किये जाने को लेकर विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं. इस फेहरिस्त में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस भी हैं. पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसफ ने मंगलवार को हैरानी जताते हुए कहा कि गोगोई द्वारा इस मनोनयन को स्वीकार किये जाने ने न्यायापालिका में आम आदमी के विश्वास को हिला कर रख दिया है.
पत्रकारों ने जब जोसफ से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा, ''जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस गोगोई, मैंने और जस्टिस मदन बी लोकुर ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाई थी. 12 जनवरी 2018 की हमारी प्रेस कांफ्रेंस में जस्टिस गोगोई के शब्द थे- हमने देश के प्रति अपना कर्ज़ चुकाया है.''
कुरियन जोसफ ने आगे कहा, ''आज उनका (रंजन गोगोई) राज्यसभा का पद स्वीकार कर लेना लोगों की न्यायपालिका की स्वतंत्रता में भरोसे को कमज़ोर करेगा. स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है.''
ध्यान रहे कि जोसफ ने गोगोई, जे चेलमेश्वर और मदन बी लोकुर के साथ सार्वजनिक रूप से जनवरी 2018 में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. इतिहास में पहली बार था जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किए थे.
राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर हो रहे विवाद पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि शपथ लेने के बाद उच्च सदन की सीट की पेशकश स्वीकार करने के बारे में वह विस्तार से बोलेंगे. उन्होंने कहा, “पहले मुझे शपथ लेने दीजिए, इसके बाद मैं मीडिया से इस बारे में विस्तार से चर्चा करूंगा कि मैंने यह पद क्यों स्वीकार किया और मैं राज्यसभा क्यों जा रहा हूं.”
सोमवार को एक गजट अधिसूचना में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया. गोगोई पिछले साल नवंबर में भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए थे. वह इस पद पर करीब 13 महीनों तक रहे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया.