Supreme Court: कुछ न्यायाधीश आलसी होते हैं, कुछ अक्षम; कॉलेजियम आमतौर पर कार्रवाई नहीं करता: रिटायर्ड जज जस्ती चेलमेश्वर
Former SC Justice Jasti Chelameswa: एससी के रिटायर्ड जज जस्ती चेलमेश्वर ने कहा, "कुछ आरोप कॉलेजियम के सामने आ सकते हैं, लेकिन आमतौर पर कुछ भी नहीं किया जाता है. यदि आरोप गंभीर हैं तो कार्रवाई की जानी चाहिए
![Supreme Court: कुछ न्यायाधीश आलसी होते हैं, कुछ अक्षम; कॉलेजियम आमतौर पर कार्रवाई नहीं करता: रिटायर्ड जज जस्ती चेलमेश्वर former SC Justice Jasti Chelameswar Some judges are lazy some are inefficient; collegium usually does not take action Supreme Court: कुछ न्यायाधीश आलसी होते हैं, कुछ अक्षम; कॉलेजियम आमतौर पर कार्रवाई नहीं करता: रिटायर्ड जज जस्ती चेलमेश्वर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/04/12/f5cdc0307f08f1eb6c85e0ebdac9aef41681292801382503_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Former SC Justice Jasti Chelameswa: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जस्ती चेलमेश्वरने मंगलवार (11 अप्रैल) को कॉलेजियम को दिए बयान को लेकर हैरान कर दिया. पूर्व जस्टिस ने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज को नियुक्त करने और तबालने करने वाला कॉलेजियम बेहद ही अस्पष्ट तरीके से काम करता है. उन्होंने कहा वो जज के खिलाफ आरोप लगने का मौका सामने आने पर अक्सर कोई कार्रवाई नहीं करता है.
इतना ही नहीं उन्होंने कुछ जज को लेकर कहा कि को आलसी और साफ तौर पर नाकाबिल है. उन्होंने ये बातें केरल हाईकोर्ट में भारतीय अभिभाषक परिषद केरल (Bharatheeya Abhibhashaka Parishad ) की "इज कॉलेजियम एलियन टू द कॉन्स्टिट्यूशन" विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उद्घाटन भाषण में कहीं.
'जज वक्त पर फैसले नहीं लिखते'
पूर्व जस्टिस चेलमेश्वरने ये भी कहा, "कई जज आलसी हैं और वक्त पर फैसला नहीं लिखते हैं जबकि कई अन्य सीधे तौर पर नाकाबिल हैं. उन्होंने आगे कहा, "कुछ आरोप कॉलेजियम के सामने आ सकते हैं, लेकिन आमतौर पर कुछ भी नहीं किया जाता है. यदि आरोप गंभीर हैं तो कार्रवाई की जानी चाहिए. सामान्य समाधान के तहत केवल जज का तबादला करना है ... कुछ जज सिर्फ आलसी होते हैं और फैसला लिखने में साल ग जाते हैं. कुछ जज नाकाबिल हैं."
उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद वो इस विषय पर बोलकर ऑनलाइन ट्रोलिंग और आलोचना का शिकार भी हो सकते हैं.
रिटायर्ड जज ने कहा, "अब अगर मैं कुछ भी कहता हूं तो कल मुझे यह कहते हुए ट्रोल किया जाएगा कि 'वह रिटायर होने के बाद ये सब क्यों कह रहे हैं', लेकिन यह मेरा भाग्य है. लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के दो फैसलों को वापस भेजा क्योंकि उसे ये समझ नहीं आया था कि आखिर फैसलों में कहा क्या गया है."
'लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका बेहद जरूरी'
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा ऐसा न होने पर, "जरा सोचिए अन्यथा क्या होगा. कल्पना कीजिए कि एक पुलिसकर्मी क्या कर सकता है. ऐसा नहीं है कि वे बुरे हैं, लेकिन उनके पास ताकत है और वे खुद के लिए कानून बन सकते हैं."
रिटायर्ड जज चेलमेश्वरने कानून मंत्री किरेन रिजिजू के हालिया बयान को भी न सराहा और न ही उसका स्वागत किया. उन्होंने इस तरफ भी ध्यान दिलाया, "हमारे कानून मंत्री ने 42वें संशोधन के आधार पर एक बयान दिया है. और मुझे कहना होगा कि इस तरह की मर्दानगी सभी के लिए खराब है. कोई भी आम आदमी पर और उन्हें प्रभावित करने वाली प्रणालियों को कैसे सुधारना है इस पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा है.अपने बच्चों और संतानों के हित में बुद्धिमतापूर्ण और समझदारी भरे फैसले लें."
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