पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह पंचतत्व में विलीन, बेटे मानवेंद्र सिंह ने दी मुखाग्नि
जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार के समय परिवार के सदस्य और रिश्तेदार मौजूद थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री का पार्थिव शरीर हवाई मार्ग से जोधपुर लाया गया.
जोधपुर: पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह का उनके फार्म हाउस में रविवार शाम को अंतिम संस्कार किया गया. उनका रविवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया था. जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्हें मुखाग्नि दी. जोधपुर के सिविल एयरपोर्ट के पास स्थिति फार्म हाउस में अंतिम संस्कार के समय दिवंगत जसवंत सिंह के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार मौजूद थे.
इससे पूर्व जसवंत सिंह का पार्थिव शरीर हवाई मार्ग से जोधपुर लाया गया और फार्म हाउस में रखा गया जहां लोगों ने उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रृद्धांजलि दी. भारतीय सेना की ओर से भी सिंह के पार्थिव देह पर पुष्प चक्र रखा गया. सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी जसवंत सिंह बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगी थे. लंबी बीमारी के बाद रविवार को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
अगस्त 2014 में अपने घर पर गिरने से आई चोट के बाद उन्हें सेना अनुसंधान और रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह लंबे समय से कोमा में थे. उन्हें इस वर्ष जून में फिर से अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित कई नेताओं ने सिंह के निधन पर संवेदना व्यक्त की है.
जसवंत सिंह का राजनीतिक सफर
जसवंत सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में 1996 से 2004 के बीच रक्षा, विदेश और वित्त जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. भारतीय सेना में लंबे समय तक सेवा देने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. वह संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे. 1980 में पहली बार राज्यसभा गए. 1996 में वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री बने. बीजेपी सरकार गिरने के बाद जब दो साल बाद फिर वाजपेयी सरकार बनी तो विदेश मंत्री बने. 2000 में रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला. इसके बाद 2002 में फिर वित्त मंत्री बने.
बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक जसवंत सिंह को 2014 लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा- उनका चले जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति
बीजेपी के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने गहरा शोक जताया है. आडवाणी ने कहा कि उनके पास संवेदना जताने के लिए शब्द नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह न सिर्फ पार्टी में उनके सबसे करीबी सहयोगी थे बल्कि दोनों के बीच गहरी दोस्ती भी थी.
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, “जसवंत जी एक शानदार संसद सदस्य, दक्ष राजनयिक, एक महान प्रबंधक और इन सबसे ऊपर एक देशभक्त थे. राजस्थान से आने वाले जसवंत जी का कद बीजेपी में बड़ा था और सालों तक उन्होंने पार्टी में अहम योगदान दिया. वाजपेयी सरकार में रहते हुए उन्होंने रक्षा, विदेश और वित्त मंत्रालय जैसी तीन अहम जिम्मेदारियों को निभाया. इन मुद्दों को संभालने के दौरान छह सालों में अटल जी, जसवंत जी और मेरे बीच एक विशेष रिश्ता कायम हुआ.”
नहीं रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह, पीएम मोदी और रक्षामंत्री ने शोक व्यक्त किया