कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता रहे विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है. वह कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के पोते और पूर्व केन्द्रीय मंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर कर्ण सिंह के बेटे हैं. पिछले साल उन्होंने पीडीपी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. वो पीडीपी से ही एमएलसी हैं.


जानें उनके और उनके पूरे परिवार के बारे में


हरि सिंह जम्मू-कश्मीर के अंतिम राजा थे. उन्होंने अपने समय में कई ऐसे काम किए थे जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है. गद्दी पर बैठते ही उन्होंने बाल विवाह को प्रतिबंधित कर दिया, प्राइमरी एजुकेशन सभी छात्रों के लिए आवश्यक बना दिया और धार्मिक जगहों पर सभी धर्म के लोगों को जाने और पूजा करने की इजाजत दी थी. ये सारे काम उस समय में होना प्रगतिशीलता को दर्शाता है इसलिए उनके काम को लोग आज भी याद करते हैं.


महाराजा हरि सिंह ने चार शादियां की थी, लेकिन चारों पत्नियों में से उन्हें सिर्फ एक ही बच्चा हुआ था. कर्ण सिंह महाराज हरि सिंह के इकलौते वारिश हैं.


कर्ण सिंह कवि, कूटनीतिज्ञ, जम्मू-कश्मीर के गवर्नर और केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं. बेहद सौम्य स्वभाव के कर्ण सिंह राजनीतिक गलियारों में कम ही चर्चाओं में रहते हैं. वो दो बेटों और एक बेटी के पिता हैं. बेटे का नाम विक्रमादित्य सिंह, अजातशत्रु सिंह है और बेटी का नाम ज्योत्सना सिंह है. 1964 में जन्मे विक्रमादित्य सिंह जम्मू-कश्मीर के एक सधे हुए नेता हैं. इन्होंने माधवराव सिंधिंया की बेटी चित्रांगदा सिंधिंया से शादी की है.


क्यों चर्चा में हैं विक्रमादित्या सिंह


विक्रमादित्य सिंह जम्मू-कश्मीर विधान परिषद के सदस्य हैं. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में लंबे समय रहने के बाद इन्होंने 22 अक्टूबर, 2017 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. अब इन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है. विक्रमादित्य सिंह के पिता कर्ण सिंह कांग्रेस के सीनियर लीडर हैं. विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी छोड़ने के बाद बीजेपी-पीडीपी पर आरोप लगाया था कि ये सरकार एंटी कश्मीर पॉलिसी को बढ़ावा दे रही है.


अगले साल देश में लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में कर्ण सिंह के कांग्रेस पार्टी के दामन थामने से पार्टी को निश्चित रूप से फायदा होगा. कांग्रेस पार्टी को जम्मू-कश्मीर में बाप-बेटे (कर्ण सिंह और विक्रमादित्य सिंह) के साथ आने से मजबूती मिलेगी. राज्य में अगर ये जोड़ी कांग्रेस को खोई जमीन वापस दिलाने में कामयाब रहती है तो पार्टी के लिए ये बड़ी कामयाबी होगी.