नई दिल्ली: महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में हिंदुत्व और सेक्यूलर विचारधारा की पार्टीयां बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सालों साल से चली आ रही अपनी राजनीतिक दुश्मनी भूला कर दोस्ती का हाथ मिला रही हैं कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की साझा बैठक में कॉमन मिनीम प्रोग्राम के साथ साथ सत्ता की हिस्सेदारी पर भी चर्चा हुई. सूत्र बताते हैं कि सत्ता में पावर शेयरिंग के फार्मूले के ड्राफ्ट पर कल रात तीनों पार्टियों के नेताओं के बीच सकारात्मक और एक दिशा में बात हुई.
शिवसेना ने इस बैठक में प्रस्ताव रखा कि महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते शिवसेना को पांच साल के लिए मुख्यमंत्री पद दिए जाए और बदले में कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस दोनों ही पार्टीयों को पांच साल उपमुख्यमंत्री पद दिया जाए. यानि इस बार महाराष्ट्र को दो उपमुख्यमंत्री मिल सकते हैं. दरअसल शिवसेना मुख्यमंत्री पद पाँच साल के लिेए खुद के पास रख कर ताकतवर और महत्वपूर्ण मंत्रालय कांग्रेस-एनसीपी को देने की इच्छा ज़ाहिर कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक़ कल रात हुई बैठक में इस फार्मूले पर चर्चा हुई. यही फार्मूला अब तीनों पार्टी के नेताओं के पास रखा जाएगा. पहले कांग्रेस-एनसीपी में इसपर चर्चा करेंगे फिर शिवसेना इस चर्चा में शामिल होगी.
कुछ इस प्रकार हो सकता है फार्मूला
शिवसेना — मुख्यमंत्री, वित्त और नगरविकास.
एनसीपी — उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय, विधान सभा डेप्युटी स्पीकर
कांग्रेस — उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष पद, रेवेन्यू
मंत्रालय 16-14-12 के फार्मूले में बंटवारा संभव
शिवसेना -16
एनसीपी - 14
कांग्रेस — 12
माना ये भी जा रहा है कि शरद पवार मुख्यमंत्री पद पांच साल शिवसेना को देने के लिए राज़ी हो सकते हैं क्योंकि मुख्यमंत्री पद पर दावा करने के बाद उस पद के लिेए पार्टी में कलह हो सकती है. इसलिए शरद पवार शिवसेना को पांच साल मुख्यमंत्री पद देकर पार्टी और सरकार खुद ही चलाएंगे. नागपुर में पत्रकारों से बात करते समय भी शरद पवार ने भी इस बात के संकेत दिए. शरद पवार से पुछा गया कि क्या तीन पार्टियों की सरकार 5 साल चलेगी. इस सवाल पर उत्तर देते हुए पवार ने कहा सरकार 5 साल चलेगी ये हमारा विश्वास है और सरकार चले इस पर हमारी नजर भी रहेगी.
वहीं मुख्यमंत्री पद के सवाल पर संजय राउत ने कहा कि 'मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा. संजय राउत ने कहा हम चाहते हैं 25 साल शिवसेना का सीएम रहे कोई 2.5 साल की बात क्यो करता है मैं नही कहूंगा मैं वापस आऊंगा, मैं वापस आऊंगा। अब हम सत्ता में आते जाते नही रहेंगे हम अब सत्ता में ही रहेंगे.'
सूत्र बताते हैं कि इस फार्मूले पर पहले पवार और सोनिया गांधी बात करेंगे और बाद में उद्धव ठाकरे को चर्चा में शामिल किया जाएगा. चर्चा इस तरह आगे बढ़ती रही तो अगले हफ़्ते के शुरुआती दिनों सब फाइनल हो सकता है. 17 नवंबर को बाल ठाकरे का स्मृति दिन है. ये दिन शिवसेना के लिेए काफी महत्वपूर्ण है. शिवसैनिक ये चाहते हैं कि इस दिन सरकार की गिफ्ट शिवसेना को मिले जो सही मायनों में बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि होगी. सूत्र बताते हैं कि उस दिन कोई घोषणा हो सकती है कि हम सरकार बना रहे हैं. वहीं सूत्रों का ये भी कहना है कि 19 तारीख को सोनिया गांधी-शरद पवार मुलाक़ात कर फार्मूले पर मुहर लगा सकते हैं.
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