Al-Qaeda Terror Case: अलकायदा आतंकी मामले में चार आरोपी ठहराए गए UAPA के दोषी, पटियाला हाउस कोर्ट ने दो को किया बरी
Court News: अलकायदा के एक आतंकी मामले में 2015 से 2020 के बीच UAPA के तहत आरोपियों की गिरफ्तारियां हुई थीं. अदालत ने चार को दोषी ठहराया और दो को बरी कर दिया.
Patiala House Court on Al-Qaeda Terror Case: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार (10 फरवरी) को खूंखार आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े चार आरोपियों की गिरफ्तारी के संबंध में सुनवाई करते हुए उन्हें दोषी ठहराया. अदालत ने चारों को UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत दोषी ठहराया है. अलकायदा के एक आतंकी मामले में 2015 से 2020 के बीच आरोपियों की गिरफ्तारियां हुई थीं. अदालत ने दो आरोपियों को बरी कर दिया गया.
जिन चार आरोपियों को अदालत ने दोषी ठहराया, उनमें मोहम्मद आसिफ, मौलाना मोहम्मद अब्दुल रहमान कासमी, जफर मसूद और अब्दुल सामी के नाम शामिल हैं. वहीं, आरोपी सैयद मोहम्मद जीशान अली और डॉ सबील अहमद को कोर्ट ने बरी कर दिया.
AQIS के लिए आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते थे चारों
मोहम्मद आसिफ, मौलाना मोहम्मद अब्दुल रहमान कासमी, जफर मसूद और अब्दुल सामी ‘अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट’ (AQIS) से जुड़े थे. कोर्ट ने कहा कि आसिफ, मसूद, रहमान और सामी को यूएपीए की धारा 18 (आतंकी कृत्य के लिए साजिश रचना) और 18-बी (आतंकी कृत्य के लिए लोगों की भर्ती करना) के तहत दोषी ठहराया गया है.
14 फरवरी मिल सकती है ये सजा
विशेष न्यायाधीश संजय खानगवाल ने कहा कि अभियोजन चारों आरोपियों खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत आरोप साबित करने में कामयाब रहा है. अदालत 14 फरवरी को दोषियों को सजा की अवधि पर दलीलें सुन सकती है और उन्हें अधिकतम उम्र कैद तक की सजा हो सकती है.
10-10 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा किए गए दो
एक्यूआईएस के जिन दो संदिग्ध सदस्यों को बरी किया गया, न्यायाधीश ने उनकी इस दलील को स्वीकार कर लिया कि अभियोजन उनके खिलाफ मामला साबित करने में नाकाम रहा है. न्यायाधीश ने उन्हें 10-10 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा करने का निर्देश दिया.
अदालत ने 2017 में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे जबकि सैयद अंजार शाह को मामले में बरी कर दिया था. दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने दावा किया था कि रहमान उत्तर प्रदेश में मदरसा चलाता था, जहां कई छात्रों ने दाखिला लिया हुआ था और उसने कथित रूप से उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए कट्टर बनाने की कोशिश की थी.