नई दिल्ली: चीन से तनातनी के बीच सोमवार को शुरु हुए चार दिवसीय आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का आज आखिरी दिन है. कॉन्फ्रेंस का आखिरी दिन बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर चल रहे निर्माण कार्यों (सड़क, पुल और सुंरग इत्यादि) सहित दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर की समीक्षा का होगा.
इसके अलावा इस बात पर चर्चा होगी कि किस कमांड (कमान) को कितने सैनिकों की आवश्यकता है और तैनाती के दौरान सैनिकों की क्या-क्या जरूरतें होंगी. क्योंकि इस वक्त चीन से सटी पूरी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तनातनी चल रही है. साथ ही पाकिस्तानी से सटी एलओसी पर किसी भी तरह से तैनाती को कम नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा इस बात पर भी चर्चा होगी कि कश्मीर और उत्तर-पूर्व में काउंटर-इनसर्जेंसी और काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशन्स में सैनिकों की कितनी तैनाती होगी.
सेना कमांडरों को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या दी सलाह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को सेना के कमांडरों को विवादित सीमाओं पर चीनी कार्रवाई और सैन्य वार्ता के दौरान उसकी मंशा के बारे में सावधान रहने को कहा. रक्षा मंत्री ने 'आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस' को संबोधित करते हुए यह बात कही. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ व्याप्त सीमा तनाव इस साल के इस चार दिवसीय सम्मेलन में विचार-विमर्श का मुख्य केंद्र है. संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा है कि बातचीत को ईमानदारी से और समाधानी के साथ विश्वास के माहौल में आयोजित किया जाना चाहिए. रक्षा मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि चीनी मंशा संदिग्ध होने के बाद से विश्वास में कमी आई है.
इस बीच सिंह ने सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखी. रक्षा मंत्री सिंह ने ट्वीट किया, "नई दिल्ली में आज सैन्य कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया. मौजूदा सुरक्षा माहौल में भारतीय सेना द्वारा उठाए गए कदमों पर मुझे बेहद गर्व है. सुधारों के मार्ग पर आगे बढ़ रही सेना को हर सुविधा देने और सभी क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने में मदद के लिए रक्षा मंत्रालय प्रतिबद्ध है. हम अपने सशस्त्र बलों की भुजाओं को मजबूत बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे."
सेना की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से देश की संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़ी कई चुनौतियों का बल ने सफलतापूर्वक समाधान दिया है. उन्होंने कहा, "चाहे वह आतंकवाद की समस्या हो, उग्रवाद या बाहरी आक्रमण, सेना ने उन खतरों को नाकाम करने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है."
दरअसल, भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले छह महीने से गतिरोध बना हुआ है. गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों में कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है. दोनों देशों के बीच सात सैन्य कमांडर स्तर की बैठकें हुई हैं, मगर सीमा का मुद्दा अनसुलझा है.
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