मुंबई: कहते हैं राजनीति के खेल में कभी भी, कुछ भी हो सकता है और जो हो जाता है वो जायज होता है. आज महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार है. उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं. उद्धव ठाकरे उसी शिवसेना के प्रमुख हैं जो घोर हिंदुत्ववादी मानी जाती थी. लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी गठबंधन के साथ जब शिवसेना की ठाकरे सरकार बनी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हिंदुत्व को किनारे में रखते हुए अपने मंत्रिमंडल में चार मुस्लिम चेहरों को शामिल किया. उद्धव ने अपनी एक नई छवि दिखाने की कोशिश की है.


1- नवाब मलिक- एनसीपी की तरफ से प्रवक्ता के तौर हरदम मीडिया में छाये रहने वाले नवाब मलिक कई बार विधायक रह चुके हैं. वह महाराष्ट्र के गृहनिर्माण मंत्री का भी पद संभाल चुके हैं. महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी सत्ता जमा चुके नवाब मलिक मूलत: उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. जिस शिवसेना के साथ मिलकर उनकी पार्टी ने सरकार बनाई और वो मंत्री बने हैं, उसी शिवसेना के उम्मीदवार को अणुशक्ति नगर से हराकर वो फिर एक बार विधायक बने हैं. अब उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल में एक मुस्लिम चेहरे के तौर पर मंत्री बने हैं.


2- हसन मुश्रीफ- एनसीपी के हसन मुश्रीफ महाराष्ट्र में कोल्हापुर के कागल से विधायक हैं. 65 साल के मुश्रीफ के कई ठिकानों पर इसी साल जुलाई महीने में आयकर विभाग ने छापेमारी की थी.


3- अब्दुल सत्तार- कांग्रेस पार्टी से पूर्व मंत्री रह चुके अब्दुल सत्तार साल 2019 में कांग्रेस का दामन छोड़ शिवसेना में शामिल हुए और औरंगाबाद जिले के सिलोद विधानसभा सीट से जीत हासिल की. एक महीने तक महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर जो उठापटक चल रही थी उसमें शिवसेना की तरफ से अब्दुल सत्तार काफी सक्रिय थे. होटलों में रहने के दौरान उस वक्त जहां शिवसेना के विधायक मीडिया के कैमरे से कतराते थे वहीं अब्दुल सत्तार खुलकर बात करते थे. जिसकी वजह से उन्हें नयी पहचान मिली और वो नेशनल चेहरा बन गये. अभी उन्हें भी उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है.


4- असलम शेख- मुंबई मलाड विधानसभा से तीसरी बार जीतकर विधायक बने असलम शेख कांग्रेस के काफी तेज तर्रार विधायक माने जाते हैं. एक मुस्लिम चेहरे के तौर पर असलम शेख ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है. शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सरकार के दौरान असलम शेख हरदम एक विपक्ष के तौर पर शिवसेना-बीजेपी को घेरते दिखते थे. लेकिन उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल में असलम शेख को भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया जिसकी बीजेपी निंदा भी कर रही है.


राजनीति के जानकारों की मानें तो ये शिवसेना का एक नया चेहरा हो सकता है जो हिंदुत्व की राजनीति से बाहर निकल चुका है या फिर शिवसेना राजनीति के खेल में ये सब करने को मजबूर है.


यह भी पढ़ें-


दिल्ली बीजेपी के व्यापारी सम्मेलन में नहीं जुटे व्यापारी, मंत्रियों की लेटलतीफी और ठंड के चलते लोग वापस गए