- सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इस पर कहा है- ये सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी मामला है. जो भी मतभेद है वे जजेज़ खुद सुलझा लगे. इस मामले से सरकार का कोई लेना देना नहीं है. उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट के जज जल्द इस मसले पर कोई सहमत राय से सहमत होंगे.
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा- ये सब सुनकर चिंता होती है. साथ ही साथ मैं उम्मीद करता हूं कि वो लोग आपस में बैठकर इसका कोई समाधान निकालेंगे. ये कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिससे कोर्ट का कोई नुकसान होना चाहिए.
- वरिष्ठ वक़ील इंदिरा जयसिंह ने कहा- आज का दिन ऐतिहासिक है. ख़ुशी की बात है की जजों ने खुलकर इस मुद्दे पर बात की. लोगों को ये जानना ज़रूरी था कि कोर्ट में क्या चल रहा है. आगे इस पर सीनियर जजों को खुलकर इस पर बात करनी ही होगी.
- सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- हम उनकी आलोचना नहीं कर सकते हैं. ये चारों ऐसे लोग जिन्होंने अपने इस करियर के लिए बहुत कुछ गंवाया है. हमें उनका सम्मान करना चाहिए. पीएम को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ये चारों जज और चीफ जस्टिस इस मुद्दे पर एकमत हो जाएं.
- वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने कहा- आज का प्रेस कॉन्फ्रेंस एक गलत मिसाल साबित हो सकता है. ये जुडिशियरी के इतिहास का काला दिन की तरह है. इसके बाद हर कोई न्यायिक आदेश को संदेह की नज़र से देखेंगे. हर फैसले पर सवाल उठाए जाएँगे.
- नेता और वकील प्रशांत भूषण ने कहा- किसी को ये इस स्थिति को सामने लाना ही पड़ता कि चीफ जस्टिस बहुत ही बुद्धिमानी से अपने पावर का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए ये बेमिसाल कदम है.
आपको बता दें कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इन चारों जजों ने वो चिट्ठी भी सार्वजनिक कर दी है जो उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखी थी. सात पन्नों की चिट्ठी में कई विवादों का जिक्र किया गया है. चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर मनमाने रवैये का जिक्र किया गया है. चीफ जस्टिस और इन चार वरिष्ठ जजों के बीच अधिकारों को लेकर विवाद है. विवाद यह है कि केस किसके पास जाए, ये तय होने का अधिकार दिया जाना चाहिए. चिट्ठी में गुजरात का सोहराबुद्दीन एनकाउंटर को लेकर भी विवाद का जिक्र है.
विस्तार से पढ़ें पूरी खबर- सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की तरफ से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखी चिट्ठी में क्या है?