Assam Mine Accident: असम के उमरंगसो में कोयला खदान में हुए हादसे को शनिवार (11 जनवरी, 2025) को 6 दिन हो गए हैं. जिले में चल रहे बचाव अभियान में अब तक चार मजदूरों के शव बरामद किए जा चुके हैं. यह घटना सोमवार को एक कोयला खदान में अचानक पानी भर जाने  से हुई, जिसमें कुल नौ मजदूर फंस गए थे. पहला शव बुधवार को बरामद किया गया था. शनिवार (11 जनवरी) को  सुबह तीन और शव निकाले गए. इनमें से एक की पहचान 27 वर्षीय लिगेन मगर के रूप में हुई है. अन्य दो शवों की पहचान जारी है.


मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "उमरंगसू में बचाव कार्य अडिग संकल्प के साथ जारी है. हम इस कठिन समय में पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं.”  ओएनजीसी और कोल इंडिया की ओर से लाई गई विशेष मशीनों की मदद से खदान से पानी निकालने का काम जारी है, जो करीब 310 फीट गहरी है. सरमा ने पहले दावा किया था कि खदान को 12 साल पहले बंद कर दिया गया था और तीन साल पहले तक यह असम खनिज विकास निगम के अधीन थी.






मुख्यमंत्री का बयान
सरमा ने कहा, ''यह अवैध खदान नहीं थी, बल्कि बंद थी, उस दिन मजदूर पहली बार कोयला निकालने के लिए खदान में घुसे थे." उन्होंने कहा कि मजदूरों के नेता को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस मामले की जांच कर रही है. असम खदान बचाव अभियान में क्या बाधा आ रही है असम में बाढ़ग्रस्त खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए विभिन्न केंद्रीय और राज्य संगठनों और भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं - सेना, नौसेना और वायु सेना - की कई टीमें अभियान में शामिल हैं.


शव को तलाशने में जुटे बचावकर्मी
बचावकर्मियों ने कहा कि उमरंगसू में 3 किलो कोयला खदान में घुसा पानी गंदा और अम्लीय हो गया है, जिससे विजिबिलिटी कम हो गई है, नौसेना के गोताखोर कठिन परिस्थितियों में शवों की तलाश कर रहे हैं. बचावकर्मियों ने कहा कि दल के गोताखोरों को बुधवार को शव को बाहर निकालने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी.


एक अधिकारी ने कहा कि गंदे पानी के कारण रिमोट से चलने वाले वाहनों का उपयोग करना भी मुश्किल हो रहा है.यह खदान तीन साल पहले तक असम खनिज विकास निगम के अधीन थी और अब बंद हो चुकी थी. अधिकारियों ने बताया कि मजदूर पहली बार खदान से कोयला निकालने गए थे. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक खदान में काम करने वाले एक मजदूर जलालुद्दीन ने कहा था कि कुछ सुरंगों की ऊँचाई बमुश्किल तीन फीट है. मजदूर ने कहा, "खड़े होने के लिए भी जगह नहीं है और हमें झुककर कोयला निकालना पड़ता है. बैठने पर भी छत हमारे सिर से सिर्फ़ 4-5 इंच ऊपर होती है."



ये भी पढ़ें: क्या MP की खरगापुर सीट की कांग्रेस विधायक हैं अयोग्य? हाईकोर्ट में सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक