Facial Reconstructive Surgery: 10 लाख में किसी एक को होती है ये दुर्लभ बीमारी, दो भांगों में बंटा था बच्चे का फेस, 18 घंटे में हुई सफल सर्जरी
Extreme Facial Deformity: फरीदाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल में अत्यंत दुर्लभ चेहरे की विकृति से पीड़ित चार साल के बच्चे का सफल ऑपरेशन किया गया है. यह विकृति 10 लाख में से किसी एक को होती है.
Haryana Kid Facial Reconstructive Surgery: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद स्थित निजी मल्टी-स्पेशियलिटी अमृता अस्पताल में एक चार साल के लड़के के चेहरे की सफल सर्जरी की गई. बच्चा 'मेडियन फेशियल क्लेफ्ट सिंड्रोम' से ग्रसित था. मेडिकल साइंस में इसे बेहद दुर्लभ चेहरे की विकृति के रूप में जाना जाता है. बच्चे का चेहरा ऐसा लगता था जैसे नाक और मुंह बीच से दो भागों में विभाजित हों. बच्चे के चेहरे की हड्डी और टिशू में समस्या बताई गई थी. चेहरे की बनावट को सही करने के लिए डॉक्टरों ने करीब 18 घंटे की मैराथन सर्जरी की और इसमें कामयाबी हासिल हुई.
अस्पताल की ओर से बताया गया कि बच्चा चेहरे में मिडलाइन गैप से पीड़ित था जो त्वचा, कठोर टिशू पर मौजूद था और खोपड़ी और मस्तिष्क तक फैला था. इस गैप की वजह से बच्चे की दोनों आंखों के बीच फासला बढ़ गया था. इसे ऑर्बिटल हाइपरटेलोरिज्म कहते हैं. होंठ, तालू, नाक और बेसल एन्सेफेलोसेले (न्यूरल ट्यूब से संबंधित जन्मजात बीमारी) का हिस्सा एक फांक के कारण दो भागों में बंटा हुआ सा था. इस वजह से बच्चा सही से देखने, बोलने और भोजन करने असमर्थ था. बच्चे को घर पर ही पढ़ाया जा रहा था क्योंकि उसके माता-पिता को आशंका थी कि कहीं स्कूल के बच्चे उसे चिढ़ाएं न और कहीं वे उसका चेहरा देखकर डर न जाएं.
10 डॉक्टरों की टीम ने ऐसा किया ऑपरेशन
अमृता अस्पताल के प्लास्टिक और रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर मोहित शर्मा ने बताया, ''दस डॉक्टरों की एक टीम ने सर्जरी की.'' उन्होंने बताया कि सर्जनों ने 3डी प्रिंटेड मॉडल पर मॉक सर्जरी के जरिये वर्चुअल प्रेक्टिस की, साथ ही फिजिकल सर्जरी के लिए पूर्वाभ्यास किया था, जिसकी वजह से इलाज संभव हो पाया. बच्चे के चेहरे की जटिल सर्जरी क्रैनियोफेशियल सर्जन डॉक्टर अनिल मुरारका और क्रैनियो-मैक्सिलोफेशियल डिवीजन के डॉक्टर अरुण कुमार शर्मा के नेतृत्व में की गई.
'बच्चे की आंखों के बीच 60mm की दूरी थी'
डॉक्टर मुरारका और डॉ. शर्मा ने बताया कि मिडलाइन फेशियल क्लेफ्ट बेहद दुर्लभ जो करीब 10 लाख बच्चों में से एक में होता है. बच्चे के चेहरे की विकृति बेहद गंभीर थी. ऑर्बिटल हाइपरटेलोरिज्म (आंखों के बीच का फासला) को टाइप 1, 2 और 3 में वर्गीकृत किया जाता है, जिसमें 40 मिमी से ज्यादा होने पर टाइप तीन बेहद गंभीर है. बच्चे की आंखों के बीच 60mm की दूरी थी.
बाल चिकित्सा न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर अनुराग शर्मा और डॉक्टर सचिन गुप्ता ने भी अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि सर्जरी के लिए ब्लड ऑटो-ट्रांसफ्यूजन मशीन, कई यूनिट ब्लड और ब्लड कंपोनेंट्स की व्यवस्था भी की गई थी. सर्जरी के बाद बच्चे तो वेंटिलेटर सपोर्ट पर पीडियाट्रिक आईसीयू में शिफ्ट किया गया था.
अस्पताल से मिल चुकी है छुट्टी
डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल और डॉ. वीणा रघुनाथन ने कहा कि हमारी टीम ने Tracheostomise (गर्दन के बाहर से श्वासनली या श्वासनली में एक छेद बनाकर हवा को फेफड़ों तक पहुंचने में मदद करने की एक प्रक्रिया) किया. इससे बच्चे को वेंटिलेटर से बाहर निकालने में मदद मिली. अब उसके न्यूरोलॉजिकल रूप से ठीक होने का इंतजार है. बच्चा तीन हफ्ते तक अस्पताल में रहा, उसके बाद उसे छुट्टी दे दी गई. डेढ़ महीने के बाद अब वह ठीक है.
बच्चा दोनों हाथों का अच्छे से इस्तेमाल कर रहा है और अपने आप चल पा रहा है. अपने सामान्य चंचल स्वभाव में आने में उसे शायद 3-4 सप्ताह और लगेंगे. उम्मीद है कि वह जल्द स्कूल जा सकेगा और गर्व-आत्मविश्वास के साथ सामान्य जीवन जी सकेगा. एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉक्टर गौरव कक्कड़, डॉ. केतन कुलकर्णी और डॉ. जेएस राहुल ने किया, जिन्होंने 18 घंटे चले ऑपरेशन को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई.
बच्चे के पिता ने जताया आभार
बच्चे के पिता एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उनके बेटे को दूसरा जीवन दिया है. उन्होंने सफल सर्जरी के लिए अमृता अस्पताल के डॉक्टरों के प्रति आभार और धन्यवाद व्यक्त किया है. बच्चे के पिता ने कहा, ''मेरे बेटे की हालत में हर दिन सुधार हो रहा है. हम उसे ठीक होने और उसकी उम्र के अन्य बच्चों की तरह स्कूल जाते हुए देखने के लिए बेहद उत्साहित हैं.''
यह भी पढ़ें- PM Modi Assam Visit: बिहू के भव्य कार्यक्रम में जब पीएम मोदी ने गाया गाना, ऐसा था लोगों का रिएक्शन, देखें वीडियो