नई दिल्ली: आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में क्लोज डोर मीटिंग होगी. सूत्रों के मुताबिक, चीन ने यूएनएससी में कश्मीर पर चर्चा का अनुरोध किया है. अफ्रीकी देशों से जुड़े मुद्दे पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद् की बंद कमरे में बैठक बुलाई गई है. चीन ने ‘कोई अन्य कामकाज बिंदु’ के तहत कश्मीर मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया है. लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम होने की संभावना है क्योंकि परिषद् के अन्य सभी देश इसका विरोध करने वाले हैं.


इस बीच फ्रांस के राजनयिक सूत्र ने भारत के रुख पर हामी भरते हुए कहा है कि फ्रांस का हमेशा से एक रुख रहा है कि कश्मीर मुद्दे का समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय तरीके से होना चाहिए. फ्रांसीसी कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि फ्रांस ने इस शक्तिशाली संस्था में एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए यूएनएससी के एक सदस्य देश के अनुरोध पर गौर किया है और वह इसका विरोध करने जा रहा है, जैसा कि उसने पहले के एक मौके पर किया था.


पिछले साल पांच अगस्त को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला लिया था. इसी मुद्दे पर पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने अगस्त में भी यूएनएससी में चर्चा की मांग की थी. हालांकि यूएनएससी सदस्यों ने सार्वजनिक चर्चा के लिए चीन की मांग को खारिज कर दिया. इसके बजाय संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद एक प्रावधान के तहत कश्मीर पर एक निजी चर्चा के लिए सहमत हुआ, जिसमें मतदान की जरूरत नहीं होती है.






चीन को छोड़कर यूएनएससी के सभी चार स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस कश्मीर को लेकर भारत के रुख से सहमत हैं. कई मौकों पर अमेरिका ने भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटा जाना भारत का आंतरिक मामला है.


अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और लगातार अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश करता है. हालांकि भारत की कूटनीतिक मजबूती की वजह से उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली. यूएनएससी के स्थायी सदस्यों में फ्रांस और ब्रिटेन के साथ ही गैर-स्थायी सदस्यों जर्मनी और पोलैंड ने भी कश्मीर मुद्दे पर एक और चर्चा कराए जाने के संबंध में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.


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