21 मार्च को बीती रात करीब 10 बजकर 17 मिनट पर देश की राजधानी  दिल्ली- एनसीआरसहित उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. झटके इतने तेज थे कि लोग घर से बाहर निकल आए. धरती डोलने के बाद से एक बार फिर  रिसर्चर फ्रैंक हूगरबीट्स की भविष्यवाणी याद आ गई है. तुर्किए में भूकंप आने से पहले भी फ्रैंक हूगरबीट्स ने अनुमान लगाया था जो सच साबित हुआ. इसके बाद उन्होंने ट्वीटर पर एक वीडियो जारी करके भारतीय महाद्वीप के बारे में भी भविष्यवाणी की थी.


फ्रैंक हूगरबीट्स ने भारत और पाकिस्तान को भूकंप की लिस्ट में तुर्किए और सीरिया के बाद रखा है. उन्होंने कहा है कि एशियाई देशों को तुर्किए की तरह भूकंप या प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ सकता है. अगला भूकंप अफगानिस्तान से शुरू होगा और पाकिस्तान-भारत को पार करने के बाद हिंद महासागर में खत्म होगा. बता दें कि कल यानी 21 मार्च की रात आए भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान ही था.


फ्रैंक ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान के अलावा भारत और हिंद महासागर क्षेत्र तक शक्तिशाली भूकंप की आशंका जताई है. हालांकि अपनी भविष्यवाणी में फ्रैंक ने इस पर साफ नहीं कहा है कि अफगानिस्तान से शुरू होकर ये भूकंप हिंद महासागर तक कितनी दूरी तक जाएगा, या जाएगा भी या नहीं. 


हुगरबीट्स ने अपने दावे को पुख्ता करते हुए कहा कि ये भविष्यवाणी कोई कोरी नहीं है, ये भविष्यवाणी ग्रहों के प्रभाव और उनकी चाल पर आधारित है. बता दें कि ये वहीं फ्रैंक हूगरबीट्स  हैं जिन्होंने सीरिया और तुर्की में भूकंप की भविष्यवाणी की थी. तुर्की में आए भूकंप से अब तक 30,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. 





भारत में आने वाला भूकंप कितना खतरनाक होगा


फ्रैंक हूगरबीट्स ने ये कहा कि उनकी संस्था सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे ने पहले आ चुके भीषण भूकंपों के बारे में रिसर्च किया है. उनकी संस्था ग्रहों की स्थिति देखकर भूकंप का अंदाजा लगाती है. फ्रैंक ने ये भी बताया कि हो सकता है कि भूकंप साल 2001 में गुजरात में आए भूकंप की तरह भारत पर अपना असर डाले. लेकिन कुछ भी निश्चित तौर पर कहा नहीं जा सकता है. अभी तक इस बात का भी पता नहीं लग पाया है कि भारतीय महाद्वीप कितनी तीव्रता का और कब भूकंप आएगा.


तुर्किए में आए भूकंप को लेकर फ्रैंक ने क्या अंदाजा लगाया था


फ्रैंक हूगरबीट्स ने एक इंटरव्यू में बताया था कि तुर्किए में आए भूकंप का अंदाजा पहले ही लगा गया था, इसकी सटीकता के लिए उन्होंने विस्तार से रिसर्च किया . रिसर्च में उन्हें अनुमान लग गया था कि वहां कुछ भूकंप संबंधी गतिविधियां होने वाली हैं, इसलिए कोई घटना घटित होने से पहले लोगों के लिए चेतावनी जारी कर दी थी. 


कौन हैं फ्रैंक हूगरबीट्स? 


फ्रैंक हूगरबीट्स सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे के लिए काम करते हैं . वो ग्रहों की चाल का अदांजा लगा कर भूकंप की भविष्यवाणी करते हैं. सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे  यानी SSGEOS एक शोध संस्थान है. ये संस्थान भूकंप की गतिविधि का अंदाजा लगाने के लिए आकाशीय पिंडों की निगरानी करता है. 


फ्रैंक भूकंप का अंदाजा कैसे लगाते हैं 


फ्रैंक हूगरबीट्स  ने एक इंटरव्यू में कहा था कि लोगों का ये मानना है कि भूकंप के आने या ना आने पर ग्रहों का कोई  प्रभाव नहीं पड़ता. इसलिए जानकार और साइंटिस्ट ग्रहों की चाल पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. वहीं हम अपनी रिसर्च से ये साबित कर सकते है कि ग्रहों का असल में काफी प्रभाव पड़ता है. फ्रैंक ने ये बताया था कि वे 7.5 तीव्रता के भूकंप का अंदाजा इसलिए लगा पाए थे क्योंकि उन्होंने ऐतिहासिक भूकंपों की गतिविधि पर पहले से रिसर्च किया था. 


फ्रैंक ने कई बार सोलर सिस्टम ज्यॉमेट्री इंडेक्स के सहारे भूकंप के बारे में पता लगाया है.  उनका मानना ​​है कि दूसरे खगोलीय पिंडों और ग्रहों का अलाइमेंट पृथ्वी पर भूकंपीय गतिविधि पर असर डालता है. फ्रैंक अपने एसएसजीआई तरीके से भूकंप की भविष्यवाणी करने का दावा करते हैं जो सच साबित भी हुई. 


भूकंप की जानकारी और उसपर काम करने वाले पेशेवर को सिस्मोलॉजिस्ट कहते हैं . सिस्मोलॉजिस्ट विज्ञान में पृथ्वी और दूसरे ग्रहों की गति या अलाइमेंट के जरिए भूकंप के बारे में पता लगाने की कोशिश करते हैं.


इसके साथ ही इसमें भूकंप और उससे होने वाले असर जैसे सुनामी वगैरह  का भी रिसर्च किया जाता है. इसमें पृथ्वी की गति के आधार पर कई तरह की गणनाएं की जाती है और इसके जरिए भूकंप की भविष्यवाणी की जाती है.


फ्रैंक ने भी  पृथ्वी की गति के आधार पर ही भूकंप की भविष्यवाणी की थी. कई एक्सपर्ट भूकंप मापने के इस तरीके को गलत भी बताते हैं.  उनका मानना है कि भूकंप का पहले पता नहीं लगाया जा सकता है.  


किन वजहों से आता है भूकंप


भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल होने से भूकंप आते हैं. इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते है. 


रिक्टर स्केल पर मापी जाती है भूकंप की तीव्रता 


रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता मापने का पैमाना है. जो भूकंप की तरंगों की तीव्रता को मापता है. इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है. 


विभिन्न रिक्टर स्केलों पर  कितना खतरनाक होता है भूकंप



  • 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सिस्मोग्राफ से ही पता चलता है.

  • 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

  • 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो.

  • 3.0 तीव्रता के भूकंपों के  4.0 के भूकंप दस गुना  ज्यादा खतरनाक होते हैं. 

  • 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते है.

  • 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है.

  • 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है.

  • 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते है.

  • 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते है.

  • 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही होती है. अगर आप कोई मैदान में खड़े हो तो आपको  धरती लहराते हुए दिखाई देगी. समंदर नजदीक हो तो सुनामी का एहसास होगा. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है.


जानिए क्यों आता है भूकंप?


भूकंप के आने की वजहों को वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा. दरअसल ये पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं.  तैरने के दौरान कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं , दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूट जाती हैं. इस तरह नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की तरफ निकलने का रास्‍ता खोजती है इसे धरती के अंदर एक डिस्‍टर्बेंस  पैदा होता है और भूकंप आता है.


क्‍या होता है भूकंप का केंद्र? 
भूकंप का केंद्र  पर ही भूकंप का असर सबसे ज्यादा होता है. भूकंप के केन्द्र  से मतलब उस स्थान से है जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. कंपन की आवृत्ति दूर होने के बाद इसका प्रभाव भी कम होता जाता है. लेकिन अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे ज्यादा की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है.


हाल में आए भूकंप के बाद ये सवाल भी उठता है कि क्या भारत सरकार को आने वाले भूकंपों की जानकारी थी. अगर थी तो इसके लिए पहले से तैयारी क्यों नहीं की जाती है. आइये समझने की कोशिश करते हैं. 


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन देश और देश के आस-पास भूकंप से जुड़ी हुई गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक नॉडल एजेंसी है. इस एंजेसी ने साल 2020 से 2021 के बीच कुल 1013 भूकंपों की जानकारी दी थी. इनकी तीव्रता 3 या उससे ज्यादा थी.


इनमें से सबसे ज्यादा भूकंप के हादसे हिमालयी क्षेत्रों , भारत म्यांमार, और अंडमान निकोबार क्षेत्र में हुए. इसके अलावा देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में 13 भूकंप और गुजरात, महाराष्ट्र, भारत के मध्य और दक्षिणी भागों में भूकंप आये. 


बता दें कि भारत में भूकंप का सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए कुल  150 सेंटर दिन रात सक्रिय रहते हैं.  लेकिन पूर्वानुमान और भविष्यवाणी में फर्क है. 


एक पूर्वानुमान आपको किसी दिए गए क्षेत्र में भविष्य के भूकंपों की आशंका के बारे में बताता है. इसमें भूकंप कितनी तीव्रता के साथ आ सकता है या आने वाला  भूकंप एक समय अवधि में कितनी बार आएगा , इसकी जानकारी दी जाती है.


भविष्यवाणी में ग्रहों और पृथ्वी के अलाइमेंट को आधार बनाते हुए भूकंप आने का एक अंदाजा भर ही लगाया जा सकता है. इसका ताजा उदाहरण फ्रैंक हूगरबीट्स  की भविष्यवाणी है. 


21 मार्च यानी कल को किन-किन देशों में आए झटके


भूकंप के ये झटके तुर्कमेनिस्तान, भारत, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और किर्गिस्तान में महसूस किए गए. भूकंप आने के बाद ये रिपोर्ट किया गया कि इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है और भूकंप के झटके इसी वजह से महसूस किए गए. अमेरिकी के जियोलाजिकल सर्वे ने बताया कि भूकंप का केंद्र उत्तरपूर्वी अफगानिस्तान में जुरम के पास था और इसकी गहराई 187 किलोमीटर थी.  


फ्रैंक हूगरबीट्स ने तीन दिन पहले की थी भविष्यवाणी


फ्रैंक हूगरबीट्स का जिक्र तुर्किए और सीरिया में आए भूकंप के बाद भी हो चुका है. फ्रैंक हूगरबीट्स ने तुर्किए में हुए भूकंप की भविष्यवाणी 3 दिन पहले ही कर दी थी. डच रिसर्चर भारत-पाकिस्तान सहित अफगानिस्तान के आसपास के कई इलाकों में भूकंप के आने की आशंका जताई थी, जो जोकि तुर्किए की तरह सच साबित हुई.