साइबर क्रिमिनल्स के गढ़ 'जामताड़ा' का फ्रॉड गैंग गिरफ्तार, इस तरह लोगों की गाढ़ी कमाई पर कर रहे थे हाथ साफ
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने झारखंड के जामताड़ा से साइबर फ्रॉड के एक गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने झारखंड के जामताड़ा से साइबर फ्रॉड के एक गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. दरअसल, दिल्ली के रहने वाले एक शख्स ने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने एक बैंक के कस्टमर केयर का नंबर ढूंढने के लिए गूगल पर सर्च किया था. गूगल पर आये नंबर को जब उसने डायल किया तो नंबर नहीं लगा. लेकिन कुछ ही देर बाद एक नंबर से फोन आया, जिसने अपने आप को उस बैंक के कस्टमर केयर का सदस्य बताया.
इसी दौरान शिकायतकर्ता के मोबाइल पर एक मैसेज आया, जिसमें कस्टमर केयर के उस सदस्य ने किसी भी समस्या के समाधान के लिए उस लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा. शिकायतकर्ता ने जैसे ही मैसेज में आए लिंक पर क्लिक किया उसके अकाउंट से तुरंत 63,800 रुपये निकाल लिए गए. इसके बाद दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में मामले की शिकायत दर्ज कराई गई.
दिल्ली पुलिस ने जब जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि पैसा दो अलग-अलग पेटीएम अकाउंट में डिडक्ट हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने इन पेटीएम अकाउंट की जांच की तो करीब देशभर के 180 बैंक अकाउंट का पता चला. इनमें यह लोग पैसों को ट्रांसफर करते थे. जांच को आगे बढ़ाने के बाद पुलिस को इन बैंक अकाउंट का कनेक्शन झारखंड के जामताड़ा से मिला, जिसके बाद पुलिस ने इस गिरोह के एक शख्स नसीम अंसारी को गिरफ्तार कर लिया. नसीम की निशानदेही पर जामताड़ा में छापे मारकर पुलिस ने बाकी गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया. पुलिस ने इनके पास से 25 एटीएम कार्ड भी बरामद किए हैं.
झारखंड का 'जामताड़ा' है साइबर क्रिमिनल्स का गढ़ जामताड़ा झारखंड शहर का एक छोटा सा गांव है, जिसे साइबर क्रिमिनल्स का गढ़ भी माना जाता है. इस गांव में देश के लगभग हर शहर की पुलिस रेड कर चुकी है. इतना ही नहीं कुछ समय पहले एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने भी यहां पर छापेमारी की थी. इस गांव पर देश की सभी बड़ी एजेंसियों की नज़र बनी रहती है. इतना ही नहीं जामताड़ा के इस साइबर क्राइम पर एक फ़िल्म भी बन चुकी है. इसके बावजूद भी यहां से साइबर क्राइम रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जामताड़ा के बड़ी संख्या में नौजवान साइबर फ्रॉड में शामिल रहते हैं और इस तरह के क्राइम में कानून की सख्ती ना होने के चलते गिरफ्तारी के बाद आसानी से जेल से छूटकर बाहर आ जाते हैं. इस तरह वे एक बार फिर से साइबर फ्रॉड की दुनिया मे शामिल हो जाते हैं.
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